पिछले दिनों पशु मांस ले जाते समय तीन मुस्लिमों के साथ मारपीट हुई और उन पर गौमांस की तस्करी का आरोप लगा। हालांकि बाद में जांच में पता चला की मांस भैंस का था। गौरक्षकों ने उनकी बहुत बुरी तरह से पिटाई की थी। जैसे जैसे बकरीद का समय नजदीक आ रहा है विवाद पैदा करने की कोशिशें बढ़ रही हैं।
सोशल मीडिया में अचानक लोगों का पशु और पर्यावरण प्रेम जग गया है। पशुओं की बलि नहीं देने के विचार प्रकट किए जाने लगे हैं। इस बीच महाराष्ट्र में गौसेवा आयोग ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उसने मवेशियों का बाजार नहीं लगाने का निर्देश दिया है।
बकरीद पर मवेशी बाजार बंद करने का विवाद
ध्यान रहे हर साल बकरीद से पहले देश के अलग अलग हिस्सों में मवेशियों का बाजार लगता है, जहां वे कुर्बानी के लिए जानवर खरीदते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के गौसेवा आयोग ने राज्य के सभी एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी यानी एपीएमसी को निर्देश दिया है कि वे तीन से आठ जून तक कहीं भी मवेशी मेले का आयोजन नहीं होने दें।
गौसेवा आयोग ने साफ साफ लिखा है कि बकरीद आ रही है और उसमें कुर्बानी के लिए बड़ी संख्या में मवेशियों की खरीद फरोख्त होती है इसलिए किसी भी गांव में या कस्बे में यहां कहीं भी मवेशी बाजार नहीं लगना चाहिए। ध्यान रहे बकरीद से पहले एक हफ्ते में ही कुर्बानी के लिए लोग बकरे, भेड़ें या दूसरे जानवर खरीदते हैं।
लेकिन पशु संरक्षण कानून के आधार पर मवेशी बाजार रोका जा रहा है। मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया है। लेकिन इससे एक नई परंपरा शुरू होती दिख रही है। सवाल है कि हिंदू त्योहारों के मौके पर होने वाली बलि को रोकने के लिए भी क्या इस तरह का कोई आदेश जारी किया जा सकता है?
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