बांका से जनता दल यू के सांसद गिरधारी यादव बागी हो गए थे। उन्होंने बिहार में शुरू हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर अभियान का विरोध किया था। गिरधारी यादव ने संसद के मानसून सत्र में सदन के अंदर खड़े होकर इसके खिलाफ भाषण दिया। उन्होंने चुनाव आयोग को निशाना बनाया और कहा कि आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। चार बार के सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि एसआईआर के लिए कम समय देने, आधार को सत्यापन दस्तावेज नहीं मानने सहित कई मुद्दे उठाए। वे पूरी तरह से विपक्ष की भाषा बोल रहे थे।
उनके बयान के बाद जनता दल यू की ओर से उनको कारण बताओ नोटिस भेजा गया। उसके बाद चर्चा शुरू हुई कि वे पार्टी छोड़ सकते हैं या उनको निकाला जा सकता है। विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से भी उनकी बगावत को जोड़ा गया। पिछले दिनों उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया, जिसको स्वीकार कर लिया गया और कहा गया कि वे चार बार के वरिष्ठ सांसद हैं इसलिए कार्रवाई नहीं होगी। सवाल है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा और जदयू इस समय जोखिम लेने की स्थिति में नहीं हैं। एक तो लोकसभा में एनडीए का कामचलाऊ बहुमत से थोड़ा ही ज्यादा बहुमत है और सरकार एक सांसद गंवाने का रिस्क नहीं ले सकती है। दूसरे विधानसभा चुनाव भी सर पर हैं। तभी इस मामले में भाजपा के नेतृत्व ने दखल दिया। उनसे जवाब लिखवाया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई टाली गई।