Friday

30-05-2025 Vol 19

मोदी तुरंत विपक्षी पार्टियों को तोड़ने में जुटेंगे!

319 Views

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के क्रम में पश्चिम बंगाल की अपनी आखिरी सभा में जो कहा वह बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि चार जून के बाद अगले छह महीने में देश में बड़ा राजनीतिक भूचाल आएगा। इसके आगे उन्होंने इसमें जोड़ा कि तमाम परिवारवादी पार्टियां अपने आप बिखर जाएंगी क्योंकि उनके कार्यकर्ता भी अब थक गए हैं। उनको लगने लगा है कि देश किधर जा रहा है और ये पार्टियां किधर जा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान मामूली नहीं है। यह सिर्फ आखिरी चरण में मतदान को प्रभावित करने या मतदाताओं को लुभाने की कोशिश नहीं है, बल्कि इससे भाजपा की आगे की राजनीतिक योजना की रूपरेखा का खुलासा होता है। इससे यह अंदाजा लग रहा है कि अगर भाजपा जीतती है तो ऑपरेशन लोटस बड़े पैमाने पर चलेगा।

प्रधानमंत्री ने परिवारवादी पार्टियों के टूटने, बिखरने की बात कही है लेकिन ऐसा नहीं है कि जो पार्टियां किसी खास राजनीतिक परिवार द्वारा संचालित नहीं हैं उनके ऊपर भाजपा का निशाना नहीं है। अगर इस बार भाजपा जीतती है तो दो ऐसी पार्टियां उसके निशाने पर आएंगी, जिनमें परिवारवाद नहीं है। पहली पार्टी ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल है और दूसरी बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यू। लंबे समय से भाजपा की नजर इन दोनों पार्टियों पर है। भाजपा के कई नेता इस बात का दावा करते हैं कि पार्टियों का विलय ही भाजपा में हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो टूट फूट होगी।

जहां तक परिवारवादी पार्टियों का सवाल है तो कई पार्टियां शिव सेना और एनसीपी की गति को प्राप्त हो सकती हैं। अगर भाजपा फिर से जीत कर केंद्र में सरकार बनाती है तो कई क्षेत्रीय पार्टियों में तोड़ फोड़ कराने की कोशिश होगी। ऐसी कोशिश कांग्रेस को भी तोड़ने की होगी। कांग्रेस के बचाव की एक ही संभावना दिख रही है कि इस बार लोकसभा चुनाव में उसकी सीटों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। अगर कांग्रेस की सीटों में 25 से 30 सीट का भी इजाफा होता है और वह 75 से 80 सीट तक पहुंच जाती है तब तो उसके बारे में यह धारणा बनेगी कि वह वापसी के रास्ते पर है। लेकिन अगर सीटें नहीं बढ़ती हैं या दो चार ही बढ़ती हैं तो उसके लिए  बड़ा खतरा पैदा होगा। फिर छिटपुट नेता नहीं टूटेंगे, एकमुश्त नेता टूटेंगे। केंद्र में भी टूट होगी और राज्यों में भी।

कांग्रेस के अलावा जिन पार्टियों पर खतरा है उनमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी है। पार्टी अगर लोकसभा चुनाव में दो चार सीटों पर सिमटती है तो उसके अंदर भी टूट फूट हो सकती है। पार्टी के कई नेता पहले से भाजपा के संपर्क में हैं। उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भाजपा में शामिल होकर दुमका सीट से चुनाव लड़ रही हैं। अगर वे जीत जाती हैं तो वहां ऑपरेशन लोटस गति पकड़ेगा। ध्यान रहे पार्टी के दो और विधायक, लोबिन हेम्ब्रम और चामरा लिंडा भी बागी होकर इस बार लोकसभा का चुनाव लड़े हैं। तेलंगाना में बीआरएस के ऊपर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

Naya India

Naya India, A Hindi newspaper in India, was first printed on 16th May 2010. The beginning was independent – and produly continues to be- with no allegiance to any political party or corporate house. Started by Hari Shankar Vyas, a pioneering Journalist with more that 30 years experience, NAYA INDIA abides to the core principle of free and nonpartisan Journalism.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *