आमतौर पर हर घटना में मारे गए या घायल हुए लोगों को आर्थिक मदद दी जाती है। कई बार तो राहत कई जगह से दी जाती है। कई मामलों में केंद्र और राज्य सरकार दोनों राहत देते हैं। लेकिन जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों या घायलों को मदद देने में कंजूसी हुई दिख रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जरूर ऐलान किया है कि उनके राज्य के जो तीन लोग मरे हैं उनके परिजनों को वे 10-10 लाख रुपए की मदद देंगी। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कोई परिवार चाहेगा तो उसके एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। लेकिन इस तरह की उदारता बाकी राज्यों की ओर से देखने को नहीं मिली है।
मदद को लेकर केंद्र पर उठे सवाल : पहलगाम
सबसे पहले तो केंद्र सरकार को ही मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मदद का ऐलान करना चाहिए था। ध्यान रहे कई नवविवाहित जोड़े थे, जिनमें पति को गोली मार दी गई और पत्नी को जीवित छोड़ दिया गया। ऐसी युवा महिलाओं को मदद की जरुरत है। लेकिन केंद्र ने मदद का ऐलान नहीं किया। मारे गए लोग जिन राज्यों से आते हैं उन राज्यों ने भी मदद का ऐलान नहीं किया है।
ममता बनर्जी के पहल करने के बाद भी कहीं से आवाज नहीं उठी है। इस बीच शरद पवार की बेटी और एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि पहलगाम में मारे गए लोगों को नागरिक शौर्य अवार्ड दिया जाए। यह भी अच्छा आइडिया है। लेकिन उससे ज्यादा जरूरी आर्थिक मदद देने की है। कुछ राज्यों ने हरसंभव मदद की बात कही है लेकिन किसी ने मदद का ऐलान नहीं किया है।
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