सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया में कई वीडियो क्लिप्स और कई बयानों के जरिए यह धारणा बनाई गई है कि केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी स्वतंत्र राजनीति करते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी नहीं बनती है। प्रधानमंत्री के साथ नहीं बनने की बात को छोड़ दें तो इस बात में सचाई है कि वे स्वतंत्र राजनीति करते हैं और कई बार कैबिनेट की बैठकों में भी असहज सवाल करते हैं और बाहर भी ऐसे बयान देते हैं, जो भाजपा के मौजूदा नेतृत्व की राय से अलग होती है। परंतु कोई उनका कुछ नहीं कर पाता है तो कारण यह है कि वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, महाराष्ट्र में व्यापक रूप से और देश भर के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच सामान्य रूप से लोकप्रिय और सम्मानित हैं और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में भी उनके प्रति सद्भाव है। तभी पिछले दिनों राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया की लोकप्रिय धारणा के मुताबिक गडकरी को मोदी के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया लेकिन गडकरी उस जाल में नहीं फंसे।
असल में राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान खड़गे ने कर्नाटक की एक सड़क का मामला उठाया और गडकरी की तारीफ करते हुए कहा कि उनके हाथ बंधे हैं। खड़गे ने कहा कि वे गडकरी की मजबूरी समझ सकते हैं क्योंकि किसी राष्ट्रीय राजमार्ग का नंबर तय करने की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की ओर से गडकरी को फंड नहीं दिया जा रहा है लेकिन वे अपने साधनों से फंड का इंतजाम कर रहे हैं। गडकरी ने इसका दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राजमार्गों के नंबर तय करने की कोई भी फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय में ही यह फैसला होता है। इसके बाद उन्होंने इस बात को भी खारिज किया कि केंद्र से उनके मंत्रालय को फंड नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि खड़गे अपनी पार्टी के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों से पूछ सकते हैं कि सड़क का सबसे ज्यादा काम उनके राज्य में हुआ है या नहीं। असल में गडकरी अपने भाषणों में या सार्वजनिक कार्यक्रमों में जो कुछ भी बोलते हैं वह उनकी निजी राय होती है। जब भी संसद में या सरकारी कार्यक्रम में या मंत्रालय के मामले में बयान देना होता है तो वे हमेशा सरकार की लाइन के साथ ही चलते हैं।