ऐसा लग रहा है कि पतंजलि समूह वाले रामदेव को मुहमांगी मुराद मिल गई है। वे काफी दिनों से अपने उत्पादों को स्वदेशी के नाम पर बेचने की कोशिश कर रहे थे। वैसे वे परोक्ष रूप से धर्म के आधार पर विभाजन बनवा कर भी अपना सामान बेचने की कोशिश कर चुके हैं, जिसके लिए उनको अदालत से फटकार मिली है। लेकिन वे स्वदेशी को प्रमोट करने के नाम पर अपनी कंपनी के उत्पाद बेचने की कोशिश काफी समय से कर रहे हैं। अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद से उनकी यह मुराद पूरी होती दिख रही है। जैसे ही 27 अगस्त को अमेरिका का बढ़ाया हुआ अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लागू हुआ रामदेव ने स्वदेशी का ढोल जोर शोर से पीटना शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वदेशी अपनाने की बातों से भी रामदेव के अभियान को फायदा हुआ। 27 अगस्त को तो रामदेव और उनकी पूरी टीम दिल्ली और नोएडा के टेलीविजन चैनलों के स्टूडियोज में घूम रही थी। वे हर जगह इंटरव्यू दे रहे थे। भारत को सबसे बड़ा बाजार बता रहे थे। भारतीयों के स्वाभिमान को ललकार रहे थे और परोक्ष रूप से पतंजलि का सामान खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे थे। हालांकि यह भी कहा जाता है कि उनके कई उत्पाद भी बाहर से मंगाए गए कंपोनेंट से बनते हैं। लेकिन भगवा कपड़े और स्वदेशी के प्रचार से वे इस स्थिति का सबसे ज्यादा लाभ उठाने की स्थिति में दिख रहे हैं। लेकिन लोगों के लिए स्वदेशी के साथ साथ उत्पादों की क्वालिटी भी मैटर करती है।