महाराष्ट्र में पहली क्लास से हिंदी अनिवार्य करने का फैसला हुआ तो उसका इतना विरोध हुआ कि सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा। इसके बावजूद आंदोलन शुरू हो गया। हिंदी अनिवार्य करने के फैसले ने उद्धव और राज ठाकरे को एक कर दिया उधर तमिलनाडु में अलग हिंदी विरोध का आंदोलन चल रहा है। कर्नाटक में भी हिंदी का विरोध हो रहा है। लेकिन इनसे अलग केरल में जहां अधिकतर आबादी मलयालम भाषा बोलने वाली है वहां पहली क्लास से हिंदी अनिवार्य करने पर विचार हो रहा है। ध्यान रहे केरल में हिंदी विरोध कभी भी राजनीति का मुद्दा नहीं रहा है।
तभी राज्य सरकार की बनाई एक कमेटी ने सिफारिश की है कि पहली क्लास से हिंदी की पढ़ाई अनिवार्य की जाए। यानी मलयालम और अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी भी पढ़ाई जाए। बताया जा रहा है कि राज्य में काम करने वाले प्रवासियों की संख्या को देखते हुए यह सिफारिश की गई है। राज्य में प्रवासियों की संख्या 45 लाख के करीब है, जिनमें ज्यादातर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल और ओडिशा के हैं। राज्य के कामकाज में इनकी भूमिका को देखते हुए सरकार ने यह पहल की है। अगर यह सिफारिश मान ली जाती है तो यह एक बड़ी शुरुआत होगी।


