प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के कामकाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट और अलग अलग हाई कोर्ट्स में अक्सर कुछ न कुछ टिप्पणी सुनाई देती है। अब सरकार ने संसद को इसके कामकाज का जो ब्योरा दिया है वह भी दिलचस्प है। वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि 2015 से 2025 तक यानी पिछले 10 साल में ईडी ने 5,892 मुकदमे दर्ज किए, जिनमें सिर्फ 15 लोगों को सजा हो पाई है। सोचें, करीब छह हजार मुकदमे और सजा हुई सिर्फ 15 लोगों को! इससे भी दिलचस्प आंकड़ा यह है कि इस अवधि में ईडी ने 49 मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। यानी जितने लोगों को सजा हुई उसके तीन गुने से ज्यादा मुकदमों में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई!
सरकार ने बड़े गर्व से बताया है कि ईडी ने नया कानून बनने के बाद से लेकर मार्च 2014 तक सिर्फ 1,883 मुकदमे दर्ज किए थे। यानी हर साल औसतन दो सौ केसेज दर्ज हुए, जबकि उसके बाद के 10 साल में हर साल औसतन पांच सौ से ज्यादा केसेज दर्ज हुए। यह आंकड़ा पहले आया हुआ है कि जिन राजनीतिक लोगों के खिलाफ ईडी ने मुकदमे दर्ज किए उनमें से 95 फीसदी विपक्षी पार्टियों के नेता हैं। अब अगर सरकार यह बता दे कि जिन लोगों के मामलों में क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई है वो कौन लोग हैं तो तस्वीर थोड़ी और स्पष्ट हो जाएगी।


