उत्तराखंड में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास बनाया। पांच साल पर सत्ता बदलने के ट्रेंड के उलट भाजपा लगातार दूसरी बार जीती। लेकिन दूसरी बार जीतने के बाद से ही पार्टी की स्थिति कमजोर होती जा रही है, जो इस बार स्थानीय निकाय चुनावों में दिखा है। हालांकि कांग्रेस और भाजपा दोनों स्थानीय निकाय चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि बड़ी संख्या में निर्दलीय जीते हैं, जिन पर दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं। लेकिन हकीकत यह है कि लगातार दूसरी बार सरकार बनने के बावजूद भाजपा को झटका लगा है। भाजपा जिला पंचायत की 358 में से 320 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से 120 से कम सीट जीत पाई। इसके बाद से ही बागियों को अपना बनाने की मुहिम शुरू हो गई। एक तो पार्टी इतनी कम सीटों पर जीती और ऊपर से जितने भी दिग्गज हैं उनके परिवार के सदस्य चुनाव हार गए।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के जिले चमोली में सबसे ज्यादा झटका लगा है। कुल 26 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा सिर्फ चार जीत पाई है। कांग्रेस को सात सीटें मिली हैं। चमोली में भाजपा के पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी चुनाव हार गई हैं। चमोली जिले में भाजपा के जिला अध्यक्ष गजपाल बर्थवाल चौथे स्थान पर रहे। लैंसडाउन में भाजपा विधायक महंत दिलीप की पत्नी नीतू रावत जहरीखाल से चुनाव हार गईं। सल्ट से भाजपा विधायक महेश जीना का बेटा करण चुनाव हार गया। नैनीताल के भाजपा विधायक सरिता आर्य के बेटे रोहित चुनाव हार गए। नैनीताल की निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष व भाजपा प्रत्याशी बेला तौलिया चुनाव हार गईं। उत्तराखंड स्थानीय निकाय चुनाव की एक और दिलचस्प खबर यह है कि लाखों फॉलोवर और सब्सक्राइबर वाली इन्फ्लुएंसर दीपा नेगी चुनाव लड़ी थीं, जिनको सिर्फ 256 वोट मिले।