वैसे तो सभी राज्यों में सूचना आयोग खाली पड़े रहते हैं। सरकारें किसी न किसी बहाने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति टालती रहती हैं। अगर मजबूरी में नियुक्ति करनी पड़ जाए तो सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं या पत्रकारों की जगह रिटायर अधिकारियों को भर दिया जाता है ताकि वे सरकार के हिसाब से काम कर सकें। लेकिन केंद्रीय सूचना आयोग का मामला सबसे अलग है। पिछले 11 साल से व्यवस्थित तरीके से केंद्रीय सूचना आय़ोग को खत्म किया जा रहा है ताकि सूचना के अधिकार कानून के तहत सरकार से जानकारी मांगने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के अभियान को कमजोर किया जा सके। पिछले 11 साल में सातवीं बार ऐसा हुआ है कि केंद्रीय सूचना आय़ोग बिना प्रमुख के है।
इस साल नौ सितंबर को केंद्रीय सूचना आयोग के प्रमुख हीरालाल सामरिया 65 साल की उम्र पूरी करके रिटायर हुए। उसके बाद से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी सूचना आयुक्त हैं और केंद्रीय आयोग काम कर रहा है। संसद द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के साथ साथ 10 अन्य आयुक्त होंगे। इनमें से आठ पद नवंबर 2023 से यानी पिछले दो साल से खाली हैं। अब मुख्य सूचना आयुक्त के रिटायर होने के बाद खाली स्थान नौ हो गए हैं। केंद्रीय सूचना आयोग सिर्फ दो लोगों से काम कर रहा है। आयोग के सामने 26 हजार से ज्यादा सूचना के आवेदन लंबित हैं। एक आवेदन का निपटारा करने में एक एक साल लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि इस आयोग को पंगु बना कर रखना है।


