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बिहार में एसआईआर का तमाशा जारी है

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का पहला चरण पूरा हो गया है। चुनाव आयोग का दावा है कि सात करोड़ 23 लाख से कुछ ज्यादा लोगों ने मतगणना प्रपत्र भर कर जमा करा दिए हैं। यह भी कहा गया है कि एक अगस्त को जो मसौदा मतदाता सूची जारी होगी उसमें 65 लाख नाम नहीं होंगे। जिनके नाम नहीं होंगे उनको तीन श्रेणियों में बांटा गया है। एक श्रेणी उन लोगों की है, जिनका निधन हो चुका है, दूसरी श्रेणी उनकी है जो स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं और तीसरी श्रेणी उनकी है, जिनके नाम एक से ज्यादा जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज थे। इन तीनों श्रेणियों के लोगों के नाम मतदाता सूची से कट जाए, इसमें किसी को आपत्ति नहीं हो सकती है।

परंतु सवाल नाम कटने का नहीं है। असली सवाल करीब सवा सात करोड़ लोगों को मतगणना प्रपत्र जमा करा देने का है। यह बात गले उतरने वाली नहीं है कि एक महीने में इतने लोगों ने चुनाव आयोग की ओर से बताए गए 11 दस्तावेजों में से कोई न कोई एक दस्तावेज जमा करा कर फॉर्म भर दिया। इसका मतलब है कि सवा सात करोड़ लोगों के पास कम से कम एक दस्तावेज जरूर है! यह भी गले उतरने वाली बात नहीं लग रही है कि आयोग ने सारे फॉर्म डिजिटाइज भी कर दिए और उनकी छंटनी भी कर दी। उनका वर्गीकरण कर दिया और मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित करने की तैयारी भी कर ली।

सबसे ज्यादा सवाल इस बात पर है कि चुनाव आयोग ने जिन 11 दस्तावेजों की सूची दी थी उसमें आधार, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड को नहीं रखा गया है, जो सबसे ज्यादा लोगों के पास उपलब्ध है। आयोग ने ऐसे ऐसे दस्तावेज उसमें दिए थे, जो आम बिहारी के पास उपलब्ध नहीं हैं। जन्म प्रमाणपत्र ज्यादातर लोगों के पास नहीं है। मैट्रिक का सर्टिफिकेट भी लगभग दो तिहाई लोगों के पास नहीं है। इसी तरह से आवास प्रमाणपत्र हो या वन अधिकारी का प्रमाणपत्र हो या सरकारी नौकरी, पेंशन आदि का प्रमाणपत्र हो वह भी बहुत कम लोगों के पास है। चुनाव आयोग की सूची में तो ऐसे भी दस्तावेज थे, जिनमें या तो जन्मतिथि नहीं लिखी होती है या पता नहीं लिखा होता है। फिर ऐसे दस्तावेजों के दम पर नागरिकता कैसे प्रमाणित हुई और कैसे उनका नाम सूची में शामिल होगा? हैरान करने वाली बात यह है कि इस बार नाम कटने से ज्यादा विवाद इस बात पर है कि इतने नाम जुड़े कैसे? अनेक लोगों ने शिकायत की है कि बीएलओ उनको यहां नहीं आए लेकिन फॉर्म भरने का मैसेज आ गया। यह भी शिकायत है कि ऐसे लोगों के फॉर्म भी जमा हुए, जिनका निधन हो चुका है।

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By NI Political Desk

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