महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की राजनीति की परतें खुल नहीं रही हैं। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि परदे के पीछे क्या चल रहा है। सामने जो हो रहा है उसे लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन एक तरफ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री फड़नवीस के प्रति सद्भाव दिखा रहे हैं, उनसे मिल रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा की केंद्र सरकार पर हमला भी कर रहे हैं। उनका ताजा बयान पहलगाम कांड को लेकर है। उन्होंने कहा कि पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार और भाजपा ने राजनीति तो तरजीह दी और इन मुद्दों पर भी राजनीति की। जिस दिन उद्धव ठाकरे ने यह बयान दिया उस दिन उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने मुंबई के एक होटल में मुख्यमंत्री फड़नवीस से मुलाकात की।
इससे पहले उद्धव ठाकरे की फड़नवीस से मुलाकात हुई थी और उससे भी पहले उद्धव व आदित्य ठाकरे दोनों एक साथ जाकर मुख्यमंत्री से मिले थे। मुख्यमंत्री से अपनी पिछली मुलाकात के बाद उद्धव ने बातचीत का ब्योरा देने की बजाय सिर्फ इतना कहा कि यह अंदर बात की है। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इन मुलाकातों से ऐसे भड़के कि उन्होंने उद्धव ठाकरे पर उलटे सीधे बयान देने शुरू कर दिए। एकनाथ शिंदे ने कहा है कि उद्धव ठाकरे गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलने में माहिर हैं। अब सवाल है कि क्या उद्धव रंग बदल रहे हैं? यह बड़ा सवाल है और सिर्फ उद्धव या उनकी पार्टी की राजनीति से नहीं जुड़ा है, बल्कि भाजपा की राजनीति से जुड़ा है। निश्चित रूप से भाजपा के अंदर कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है, जिससे एकनाथ शिंदे परेशान हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने के बाद से इसका अगला कदम यह है कि दोनों की भाजपा गठबंधन में वापसी होगी। शिंदे मुख्यमंत्री रहे हैं और अब भी उप मुख्यमंत्री हैं तो निश्चित रूप से सिर्फ चर्चा भर से परेशान नहीं होंगे।
ध्यान रहे एकनाथ शिंदे पिछले दिनों दिल्ली की यात्रा पर थे और कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात हुई थी। यह चर्चा काफी समय से है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला अमित शाह का था और पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली भारी भरकम जीत के बावजूद फड़नवीस की ताजपोशी भी शाह के कारण ही कई दिन तक रूकी रही थी। पता नहीं इन बातों में कितनी सचाई है लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति के हाल के घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फड़नवीस और एकनाथ शिंदे में सब कुछ ठीक नहीं है। यह भी लग रहा है कि शिंदे को नियंत्रित रखने के लिए फड़नवीस ने ठाकरे परिवार के साथ नजदीकी बढ़ाई है।
ध्यान रहे उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने के फैसले से ठीक पहले फड़नवीस ने राज ठाकरे से मुलाकात की थी। तभी जानकार सूत्रों का कहना है कि फड़नवीस और नागपुर यानी आरएसएस इस बात पर एक राय हैं कि ठाकरे परिवार को भाजपा के साथ होना चाहिए। दूसरी ओर अमित शाह का सद्भाव अब भी एकनाथ शिंदे के लिए है। इससे फड़नवीस और शाह के शीतयुद्ध की अटकलों को भी हवा मिलती है। इस राजनीति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीटो से ही कुछ रास्ता निकलना है लेकिन अभी वे खामोश हैं। माना जाता है कि संघ के साथ साथ फड़नवीस को मोदी से भी ताकत मिलती है।