दुनिया में कोई भी अगर इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम में कोई गड़बड़ी बता दे तो तुरंत भारत सरकार जज्बाती हो जाती है। भारत का चुनाव आयोग तो लड़ने मरने पर उतारू हो जाता है। पिछले दिनों तो चुनाव आयोग ने अमेरिका की इंटेलीजेंस नेटवर्क की प्रमुख को कह दिया था कि उनके यहां की ईवीएम मशीन हैक हो सकती है, लेकिन भारत की नहीं हो सकती। बहरहाल, जैसे भारत सरकार ईवीएम को लेकर जज्बाती हो जाती है वैसे ही वह कोविड वैक्सिन को लेकर भी हो जाती है। ऐसा लगता है कि जैसे कोविड वैक्सीन ने भारत सरकार को अपना ब्रांड एंबेसेडर या अपना वकील नियुक्त किया है। अभी आईसीएमआर और एम्स दोनों ने कहा है कि इन दिनों अचानक बढ़े दिल के दौरों में वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है।
ठीक है मान लेते हैं कि वैक्सीन की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन कुछ न कुछ तो हुआ है, जो लोग चलते फिरते गिर कर मरने लगे हैं या 20, 25 और 30 साल के पूरी तरह से स्वस्थ युवाओं को दिल का दौरा पड़ने लगा है! अगर वैक्सीन नहीं है तो किस कारण से ऐसा हो रहा है, यह भी तो पता लगाना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में कर्नाटक के हासन में 22 लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई है। कोई कारण पता नहीं है लेकिन सरकार फतवा दे रही है कि वैक्सीन के कारण नहीं हो रहा है! हालांकि पूरी दुनिया मान रही है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हुए हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला है कि मोटे और मधुमेह के मरीजों के शरीर में वैक्सीन की वजह से सूजन और रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। ऐसे कई और शोध हुए हैं, जिनसे वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स का पता चला है। कई वैक्सीन कंपनियों ने भी इसे स्वीकार किया है। लेकिन भारत सरकार ने अपनी ओर से सारी वैक्सीन को क्लीन चिट दे दी है।


