वैसे तो प्रशांत किशोर ने कहा है कि वे बिहार की राजनीति में टिकेंगे। उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि वे कोई भी काम 10 साल तक जरूर करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में नौकरी की तो 10 साल तक किया। इसके बाद चुनाव प्रबंधन की कंपनी बना कर वह काम किया तो वह भी 10 साल करने के बाद छोड़ा और अब 2022 में राजनीति में आए हैं तो कम से कम 10 साल जरूर लगाएंगे। इसका मतलब है कि वे 2032 तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले हैं, ऐसा उन्होंने खुद संकेत दिया है। लेकिन सवाल है कि वे यह काम कैसे करेंगे? उनकी पार्टी के लिए जिस तरह का चुनाव नतीजा आया है वह बहुत बड़ा झटका है। ज्यादातर सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।
ध्यान रहे पिछले चुनाव में चिराग पासवान 135 सीटों पर लड़े थे और किसी सीट पऱ उनको उम्मीदवारों की जमानत जब्त नहीं हुई थी। उनको 5.66 फीसदी वोट मिले थे। प्रशांत किशोर के लगभग 99 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत नहीं बची है और उनको बहुत कम वोट मिले हैं। तभी उनके लिए अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना भी मुश्किल होगा। उनकी पार्टी के समर्थकों के सोशल मीडिया हैंडल चुनाव नतीजों के साथ खामोश हो गए हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि वे अभी एक राउंड और चुनाव प्रबंधन का काम देखेंगे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में विजय के चुनाव में काम करने के बाद वे फिर बिहार में सक्रिय होंगे। इस बार वे किस तरह राजनीति करते हैं और संगठन कैसे खड़ा करते हैं यह देखने वाली बात होगी। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार की पार्टी 25 सीट से ज्यादा जीत गई तो वे राजनीति छोड़ देंगे। लोग इस बात की भी याद दिला रहे हैं।


