पंजाब में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए अनेक नेता दुविधा में हैं। कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सेहत ठीक नहीं है और अब वे सक्रिय राजनीति करने में सक्षम नहीं हैं। उनकी पत्नी परनीत कौर भी राजनीति में कोई खास सक्रिय नहीं हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि कैप्टेन के परिवार की ओर से कांग्रेस से संपर्क किया गया। कैप्टेन के साथ ही सुनील जाखड़ भी भाजपा में गए थे। भाजपा ने उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। हालांकि कैप्टेन और जाखड़ दोनों मिल कर पंजाब की राजनीति में भाजपा को कई खास फायदा नहीं पहुंचा पाए। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा में भी मोहभंग है।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने नेता अश्विनी शर्मा को पंजाब प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है। यह सुनील जाखड़ की विदाई का संकेत है। वे दो साल से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं लेकिन भाजपा में बेगाने हैं। उनके बाद रवनीत सिंह बिट्टू कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी केंद्र में मंत्री बन गए। भाजपा ने उनको राज्यसभा में भेजा है। इस तरह बिट्टू प्रदेश में भाजपा का सिख चेहरा हैं तो अश्विनी शर्मा हिंदू चेहरा हैं। ऐसे में सुनील जाखड़ की क्या उपयोगिता रह जाती है? इस वजह से जाखड़ की आगे की राजनीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वे भाजपा में रहेंगे या अपने और परिवार के राजनीतिक हितों को देखते हुए पुरानी पार्टी में लौट जाएंगे, इसके कयास लगाए जा रहे हैं।