बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के मसले पर विपक्ष अपने विरोध अभियान को चरम पर ले जा रहा है। संसद में लगातार चौथे हफ्ते विपक्ष ने कामकाज ठप्प किया है तो सोमवार को संसद से निर्वाचन सदन की ओर साझा विपक्ष का मार्च इसका पीक प्वाइंट था। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसमें शामिल हुए और दोनों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया था। इसके बाद अब संसद का सत्र समापन की ओर बढ़ रहा है। इस हफ्ते के स्वतंत्रता दिवस है। सो, तीन दिन और संसद चलेगी और फिर आखिरी हफ्ता शुरू हो जाएगा। तभी सवाल है कि संसद सत्र के समापन यानी 21 अगस्त के बाद विपक्षी पार्टियां एसआईआर को लेकर क्या करेंगी?
अभी तक एक कार्यक्रम तय है। राहुल गांधी बिहार जाएंगे, जहां वे राजद नेता और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ बिहार की यात्रा करेंगे। बिहार में एसआईआर के खिलाफ कांग्रेस, राजद और लेफ्ट पार्टियों को विरोध प्रदर्शन पूरे राज्य में होगा। यह पहला मौका होगा, जब राहुल गांधी बिहार में पैदल घूमेंगे। उनकी भारत जोड़ो यात्रा भी बिहार के थोड़े से पूर्वी हिस्से को छूकर निकल गई थी। इस बार वे दो हफ्ते तक बिहार में यात्रा करेंगे। ध्यान रहे बिहार में चुनाव है और चुनाव आयोग ने सबसे पहले बिहार में ही एसआईआर किया इसलिए वहां इस तरह का प्रदर्शन विपक्षी नेताओं को चुनाव से पहले एक ताकत दे सकता है। उसके कार्यकर्ताओं की मनोबल बढ़ेगा और अभी तक राजद व कांग्रेस में जो दूरी दिख रही है वह भी कम होगी। यह यात्रा संसद के सत्र के बीच ही शुरू होगी।
बहरहाल, सवाल है कि सत्र के बाद क्या फिर साझा विपक्ष कोई प्रदर्शन करेगा या बिहार की तरह राज्यवार प्रदर्शन होंगे? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि चुनाव आयोग ने बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में एसआईआर की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उसने सभी पार्टियों को निर्देश भेजा है कि वे बूथ लेवल एजेंट्स के नाम आयोग को मुहैया कराएं। इसी तरह अगले साल जिन दूसरे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां भी आय़ोग का निर्देश पहुंचने लगा है। तमिलनाडु में भी एसआईआर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बिहार चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में अगले साल चुनाव होने वाले हैं।
सबसे ज्यादा दिलचस्पी इस बात में है कि क्या पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का साझा प्रदर्शन हो सकता है? क्या बिहार की तरह बंगाल में राहुल गांधी और ममता बनर्जी एक साथ पदयात्रा करेंगे? इसी तरह यह सवाल भी है कि क्या केरल में कांग्रेस और लेफ्ट दोनों एक साथ मिल कर एसआईआर का विरोध करेंगे? क्या राहुल और प्रियंका के साथ किसी प्रदर्शन में पी विजयन और एमए बेबी शामिल होंगे? तमिलनाडु में तो राहुल और एमके स्टालिन की साझा पदयात्रा हो सकती है लेकिन बाकी दोनों राज्यों में ऐसा होना संभव नहीं है। वैसे भी राहुल गांधी मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी और एसआईआर के मामले में किसी दूसरी पार्टी को श्रेय नहीं देना चाहते हैं। कांग्रेस चाहती है कि इन मुद्दों पर लड़ाई का श्रेय अकेले राहुल गांधी को मिले। इस वजह से भी विपक्षी पार्टियों का आपसी तालमेल बिगड़ा हुआ है। हालांकि दिल्ली में संसद से निर्वाचन सदन तक मार्च में सभी पार्टियां शामिल हुईं लेकिन सत्र के बाद दिल्ली में या राज्यों में क्या होगा इसका अंदाजा नहीं है। राहुल गांधी के घर पर हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक में भी इस बारे में कोई योजना नहीं बनी है।