राजधानी दिल्ली में चुनाव हार कर सत्ता से बाहर होने के बाद से आम आदमी पार्टी का संकट खत्म नहीं हो रहा है। आम आदमी पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि पार्टी का सबसे बड़ा संकट नेतृत्व का है। पार्टी के सुप्रीम अरविंद केजरीवाल ने सौरभ भारद्वाज को दिल्ली प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष बनाया है और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को विधायक दल का नेता बनाया है।
सो, कायदे से ये दोनों दिल्ली के नेता हैं। लेकिन इनकी मुश्किल यह है कि ये ज्यादा नेतागिरी नहीं कर सकते हैं। ये दोनों इस बात से घबराते हैं कि अगर ज्यादा नेतागिरी करते दिखे तो केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों की नजरों में खटकेंगे। असल में इन दोनों नेताओं का असुरक्षा बोध गहरा होता जा रहा है। अगर आतिशी और सौरभ भारद्वाज ज्यादा मेहनत और ज्यादा नेतागिरी करते दिखेंगे तो ये उनके अपने नेतृत्व के लिए खतरा मानेंगे।
दिल्ली में आप नेतृत्व संकट गहराता
ध्यान रहे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के नाम की जितनी चर्चा हो और भले ये दोनों देश घूमते हों लेकिन असल में ये दोनों दिल्ली के ही नेता हैं। इनकी राजनीतिक कर्मभूमि दिल्ली है, जिसे ये छोड़ नहीं सकते हैं। अगले चुनाव तक इनको यह जमीन पकड़ कर रखनी है। लेकिन अभी इनका पूरा ध्यान पंजाब पर लगा हुआ है, जहां चुनाव में दो साल से कम समय रह गया है। अगर वहां की सत्ता जाती है तो पार्टी के लिए अस्तित्व का संकट हो जाएगा। इसलिए ये दोनों पंजाब में डेरा डाले हुए हैं।
इनकी गैरहाजिरी में कायदे से आतिशी और भारद्वाज को मेहनत करनी चाहिए लेकिन ये दोनों फूंक फूंक कर कदम उठा रहे हैं। इन दोनों को पता है कि ये सीट गरम रखने के लिए दिल्ली के नेता बनाए गए हैं। असली नेता केजरीवाल और सिसोदिया हैं। केजरीवाल और सिसोदिया की असुरक्षा की वजह से ये दोनों सीमित राजनीति कर रहे हैं।
तभी भाजपा की रेखा गुप्ता सरकार के सामने एक सौ दिन में कोई चुनौती नहीं पेश आई है। दिल्ली में जितनी गड़बड़ियां हुई हैं उसे बहुत बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है। अगर केजरीवाल राजनीति करते तो अब तक सरकार को जवाब देने में परेशानी हो रही होती। लेकिन आतिशी और भारद्वाज ऐसा नहीं कर सकते हैं। सो, आप के नेतृत्व के इस संकट के कारण भाजपा सरकार को वॉकओवर मिला हुआ है।
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