राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

कोई प्रभारी हो कांग्रेस बदल नहीं सकती

सोशल मीडिया का कांग्रेस का जो इकोसिस्टम और पत्रकारों की एक टोली राहुल गांधी में हवा भरती है और उनको जननायक बताती है वही इकोसिस्टम बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को नायक बना रही है। बताया जा रहा है कि उनको कमाल कर दिया है। क्या कमाल किया है तो इस बार कांग्रेस की टिकट लालू प्रसाद के घर से नहीं बंट रही है, बल्कि  कांग्रेस कार्यालय से बंट रही है। यह कह कर एक तो कांग्रेस के नेता इससे पहले के तमाम प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों का अपमान कर रहे हैं। दूसरे, अल्लावरू को यह भरोसा दिला रहे हैं वे जो कर रहे हैं वह बहुत क्रांतिकारी है और उसे यह काम जारी रखना चाहिए। हकीकत यह है कि चुनाव से पहले महागठबंधन जिस अराजकता का शिकार हुआ है उसका कारण अल्लावरू हैं। उन्होंने क्रांति करने के चक्कर में कांग्रेस के संबंध राजद और लेफ्ट के साथ साथ वीआईपी से भी खराब कर लिए और फायदा कुछ नहीं हुआ।

नतीजे पता नहीं क्या होंगे लेकिन कांग्रेस ने पूरे गठबंधन की ऐसी तैसी कर दी। हकीकत यह है कि कांग्रेस ने व्यवस्थित तरीके से सीट बंटवारे की बात ही नहीं की। अगर बात हुई होती तो महागठबंधन का सीट बंटवारा महीने, दो महीने पहले हो जाता। लेकिन अंतिम समय तक मामला अटका कर रखा गया। पता नहीं किस रणनीति के तहत सभी सीटों से आवेदन मंगाए गए। सीट बंटवारा होने से पहले छंटनी समिति की बैठक हुई और यहां तक कि सीट  बंटवारा फाइनल होने से पहले केंद्रीय चुनाव समिति यानी सीईसी की बैठक भी कर ली गई। इसमें जीतने वाले मजबूत उम्मीदवारों को दरकिनार करके निजी पसंद, नापसंद से या दूसरे कारणों से कमजोर उम्मीदवार चुने गए।

तारिक अनवर ने एक गजानन शाही की मिसाल दी, जो 113 वोट से हारे थे और उनको टिकट नहीं दी गई। ऐसी अनेक मिसालें हैं। चनपटिया में डॉक्टर एनएन शाही 2015 में 490 वोट से हारे थे। 2020 में वहां से अभिषेक रंजन लड़े और 30 हजार वोट से हारे। इस बार डॉक्टर शाही और अभिषेक दोनों दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने 30 हजार वोट से हारे उम्मीदवार को टिकट दिया क्योंकि अल्लावरू उनको यूथ कांग्रेस के दिनों से जानते हैं। जाले सीट का मामला सबको पता है, जहां पहले मुस्लिम उम्मीदवार दिया गया और जब पता चला कि उसकी सभा से ही नरेंद्र मोदी की मां को गाली दी गई थी तो बदल कर राजद के ऋषि मिश्रा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। कांग्रेस ने सीपीआई की बछवाड़ा सीट पर अपना उम्मीदवार दे दिया तो राजद की लालगंज सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतार दिया।  प्रभारी ने पता नहीं पैसे लिए या नहीं लेकिन प्रभारी के नाम से फोन करके कितने लोगों से पैसे लिए गए और कितने लोगों को दिल्ली बुला कर इस या उस नेता से मिलवाया गया उसकी कहानियां अनंत हैं।

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *