उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री एके शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। वे गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी थे और नरेंद्र मोदी के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में भी उन्होंने काम किया। उसके बाद अचानक उनको उत्तर प्रदेश भेज दिया गया, जहां वे विधान परिषद के रास्ते सदन में पहुंचे और मंत्री बने। माना जाता है कि पहले दिन से वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर रहे। योगी समर्थकों ने माना कि उनकी निगरानी और उन पर नियंत्रण के लिए शर्मा को दिल्ली से भेजा गया है। हालांकि वे कभी भी मुख्यमंत्री के लिए चुनौती नहीं बन पाए। पिछले कुछ दिनों से वे बिजली व्यवस्था को लेकर निशाने पर हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनका भी सब्र चूक गया है। उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
अभी उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली विभाग का निजीकरण हो रहा है। इसका बिजली कर्मचारियों की ओर से विरोध हो रहा है तो दूसरी ओर विपक्ष के साथ साथ भाजपा समर्थकों का भी एक बड़ा वर्ग इसके लिए एके शर्मा की आलोचना कर रहा है। अब एके शर्मा ऑफिस से आधिकारिक एक्स हैंडल से कहा गया है कि निजीकरण का फैसला बिजली मंत्री का नहीं है, बल्कि सरकार का है। इसमें कहा गया है कि निजीकरण का फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले टास्क फोर्स और राज्य सरकार की सहमति से हुआ है। उन्होंने योगी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। इतना ही नहीं इसमें यह भी लिखा गया है कि बिजली मंत्री एक जूनियर इंजीनियर का तबादला खुद नहीं कर सकते हैं तो निजीकरण का फैसला कैसे करेंगे। इस पोस्ट को शर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर रिपोस्ट किया है। उन्होंने बिजली की खराब व्यवस्था के लिए भी कहा है कि यह उनको बदनाम करने की साजिश है, जिसमें बिजली विभाग के ही कुछ लोग शामिल हैं।