kejriwal rajya sabha: यह लाख टके का सवाल है कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अब क्या करेंगे? वैसे आप नेताओं के पास इस सवाल का तैयारशुदा जवाब है कि पार्टी को मजबूत करेंगे और संगठन के लिए काम करेंगे।
लेकिन भारतीय राजनीति में संगठन के लिए काम करना तो कई और दूसरे कामों का बाई प्रोडक्ट माना जाता है!
नेता विधायक, सांसद होते हैं या मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री होते हैं और तब संगठन के लिए काम करते हैं। खाली संगठन के लिए काम कौन करता है?
कम्युनिस्ट पार्टियों के बड़े नेताओं को छोड़ दें तो किसी पार्टी का बड़ा नेता बिना सांसद, विधायक या मंत्री आदि हुए संगठन का काम नहीं करता है।
अगर वह पार्टी का संस्थापक या सुप्रीमो है तो भले वह मृत्युशैया पर हो या अत्यंत वृद्ध हो गया हो वह सांसद या विधायक जरूर रहता है।(kejriwal rajya sabha)
जैसे 90 साल के एचडी देवगौड़ा, 84 साल के शरद पवार, करीब 80 साल के शिबू सोरेन आदि राज्यसभा सांसद हैं। लालू प्रसाद इसलिए नहीं है क्योंकि सजायाफ्ता हो गए हैं तो किसी सदन के सदस्य नहीं बन सकते हैं।
also read: जीत में महिलाओं की हिस्सेदारी कम नहीं
राज्यसभा के लिए 2030 में चुनाव(kejriwal rajya sabha)
इस रोशनी में इस सवाल की पड़ताल करने की जरुरत है कि अरविंद केजरीवाल क्या करेंगे? वे विधानसभा का चुनाव हार गए हैं।
अगर जीते होते तो दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होते तो उस नाते कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता और कई सुविधाएं मिल जातीं। फिर वे सदन में अपनी राजनीति करते रहते और पार्टी संगठन के लिए भी काम करते।
उनके विधायक बनने के लिए जरूरी है कि कोई सीट खाली कराई जाए। लेकिन जिस तरह का माहौल है उसमें वे जीत जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं होगी। लोकसभा का चुनाव चार साल के बाद होना है।
अब बची राज्यसभा तो उसमें भी संकट है। दिल्ली में राज्यसभा की तीनों सीटों के लिए 2030 में चुनाव होंगे। तब तक फिर दिल्ली विधानसभा का चुनाव आ जाएगा।(kejriwal rajya sabha)
पंजाब में राज्यसभा की सात सीटें हैं और वहां भी सभी सीटें अप्रैल से जुलाई 2028 में खाली होने वाली हैं। उससे एक साल पहले 2027 में विधानसभा का चुनाव होना है और वहां चुनाव में क्या स्थिति रहेगी, इस पर निर्भर होगा कि किसको कितनी राज्यसभा सीटें मिलती हैं।
केजरीवाल के लिए कौन होगा बलिदानी…
केजरीवाल की पार्टी की कोई विचारधारा नहीं है इसलिए वे विचारधारा के प्रति समर्पित लोगों को राज्यसभा में भेज नहीं सकते थे।(kejriwal rajya sabha)
अगर विचारधारा होती और प्रतिबद्ध लोग उच्च सदन में होते तो कोई उनके लिए सीट छोड़ सकता था। दिल्ली में तो उन्होंने एक सीट खाली करने के लिए स्वाति मालिवाल को कहा तो वे बागी हो गईं और मुकदमा वगैरह कर दिया।
दिल्ली के चुनाव में उन्होंने जम कर केजरीवाल और आप के खिलाफ प्रचार किया। पंजाब में भी ऐसे ही लोग राज्यसभा गए हैं
क्रिकेटर हरभजन सिंह, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के मालिक अशोक मित्तल, उद्योगपति विक्रमजीत सिंह साहनी, कारोबारी संजीव अरोड़ा और सिख धर्मगुरू संत बलबीर सिंह उनकी पार्टी के सांसद हैं। इनके अलावा राघव चड्ढा और चुनाव रणनीतिकार संदीप पाठक उच्च सदन में हैं।
इनमें से शायद ही कोई केजरीवाल के लिए सीट खाली करेगा। हालांकि केजरीवाल जी तोड़ प्रयास करेंगे कि कोई सीट खाली कर देगा ताकि वे राज्यसभा चले जाएं।(kejriwal rajya sabha)