प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते मणिपुर की यात्रा पर जाने वाले हैं। उसके बाद राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि मणिपुर में नई सरकार का गठन हो सकता है। ध्यान रहे राज्य में छह महीने से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है और विधानसभा निलंबित रखी गई है। राष्ट्रपति शासन लगा कर विधानसभा को अनंतकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता है। राज्य में विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का समय है तो इतने समय तक विधानसभा निलंबित नहीं रखी जाएगी। अगर सरकार नहीं बनती है तो विधानसभा भंग करनी होगी।
यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली से लेकर जम्मू कश्मीर तक उप राज्यपाल का फैसला भी मणिपुर के कारण अटका है। वहां राज्यपाल बना कर भेजे गए पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को वहां से वापस आना है। वह नहीं सरकार बनने के बाद ही संभव हो पाएगा। भाजपा की राजनीतिक समस्या यह है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को किनारे करके नई सरकार का गठन करना चाहता है। लेकिन विधायकों पर से खास कर मैती विधायकों पर से बीरेन सिंह की पकड़ कमजोर नहीं हो रही है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कुकी समूहों के साथ हाईवे नंबर दो खोलने का एक त्रिपक्षीय समझौता किया, जिसे मैती समूहों ने खारिज कर दिया है। इससे सरकार गठन की राह मुश्किल होती दिख रही है।