चुनाव आयोग कर सकता है!
जब तक न्यायालय ने किसी विपक्षी नेता/दल को किसी बात का अपराधी न ठहराया हो, तब तक किसी मंत्री द्वारा उस नेता या दल के विरुद्ध बोलना संविधान की शपथ के प्रतिकूल है। अतः असंवैधानिक, और पद का दुरुपयोग है। न केवल चुनाव के समय, बल्कि जब तक वह मंत्री पद पर है उस पूरी अवधि में।अतः चुनाव आयोग स्थाई आदेश दे सकता है कि मंत्री पद पर रहते हुए दलगत वक्तव्य न दिए जाएं। कोई मंत्री न अपने दल, न किसी विपक्षी दल का नाम लेकर उस की प्रशंसा या निन्दा करे।....मंत्रियों का केवल अपने चुनाव क्षेत्र में, मात्र...