मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सोमवार को चुनाव की घोषणा करने से पहले दो दिन तक बिहार में थे। उनके साथ दोनों चुनाव आयुक्त भी थे। दो दिन की इस यात्रा के दूसरे दिन रविवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उनसे घुसपैठियों के बारे में पूछा गया। उन्होंने यह तो कहा कि घुसपैठियों की पहचान करके उनके नाम काटे गए हैं लेकिन उनकी संख्या नहीं बताई। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि जिनको घुसपैठिया या विदेशी नागरिक बता कर नाम काटा गया है उनका क्या होगा? क्या उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है? अगर ये लोग घुसपैठियां हैं तो क्या उनको निकाला जाएगा और निकाल कर कहां भेजा जाएगा? इन सवालों के जवाब न तो चुनाव आयोग ने दिए हैं और न सरकार दे रही है।
इस बीच बिहार की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई एमएल के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक संख्या बताई। उन्होंने कहा कि छह हजार लोगों के नाम संदेह के आधार पर काटे गए हैं। चुनाव आयोग और सरकार को निश्चित रूप से इनके बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा चुनाव आयोग को यह भी बताना चाहिए कि मसौदा सूची में जिन लोगों के नाम थे उनमें से 3.66 लाख लोगों के जो नाम काटे गए हैं वो कौन लोग हैं। उनकी अलग से सूची जारी होनी चाहिए और बताया जाना चाहिए कि किस आधार पर इन लोगों के नाम कटे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग मतदाता का नाम सूची में शामिल करने के लिए सत्यापन के एक दस्तावेज के तौर पर आधार को स्वीकार करता रहेगा लेकिन बाकी दस्तावेज भी जरूरी होंगे। तो उसे यह बताना चाहिए कि इन 3.66 लाख लोगों के आधार में कोई गड़बड़ी है या दूसरे दस्तावेज नहीं पेश कर पाए? इनकी भी श्रेणी बतानी चाहिए कि किस वजह से किसका नाम कटा है।


