madhya pradesh assembly election

  • हारने वालों का दर्द सुना और दवा दी

    भोपाल। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में भाजपा के 163 उम्मीदवार जीतने में सफल हुए हैं वहीं 67 उम्मीदवार चुनाव हार भी गये। भाजपा ने हारे हुए उम्मीदवारों का दर्द सुना और उन्हें इस हार से उबरने की दवा भी दी।  दरअसल, 163 विधायकों के साथ सरकार बनाने में सफल हुई। भाजापा एक तरफ जहां मुख्यमंत्री और मंत्रियों के चयन करने में व्यस्त रही वहीं दूसरी ओर उसे इस बात की भी चिंता रही कि हमारे जो 67 प्रत्याशी चुनाव हारे हैं उसके कारण क्या है और गुरुवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक बुलाई गई।...

  • कौन बनेगा मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब यक्ष प्रश्न यही है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा और क्या उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इस बार प्रदेश में उपमुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे क्योंकि आधा दर्जन दावेदार इन पदों के लिए माने जा रहे हैं, तो वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन जिस तरह से भाजपा ने इस बार फिर भाजपा फिर शिवराज के नारे की जगह फिर इस बार भाजपा सरकार का नारा दिया है और जो उसके पोस्टर थे जो वीडियो रथ घुमाए गए...

  • सनातन विरोध और बहनों की लहर पर मोदी-मामा का मैजिक…

    भोपाल। मध्यप्रदेश- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लाडली बहनों और किसानों की लहर पर सवार भाजपा ने इतिहास रच दिया। मप्र में मोदी और मामा शिवराज के मैजिक से कांग्रेस परास्त हो गई। राहुल गांधी ने कहा था मप्र - छग में कांग्रेस क्लीन स्वीप करेगी लेकिन कर दिया भाजपा ने। सम्भवतः पहली दफा कांग्रेस को सनातन विरोध व हिंदू विरोधियों को मौन समर्थन देने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। विशेषज्ञ साफ्ट माने जाने वाले सनातनियों के इस बदलते रवैये को बड़े बदलाव के रूप में देख रहे हैं। जानकार और जिज्ञासु अवश्य इसका विश्लेषण करेंगे। चुनावी नतीजों ने साफ कर...

  • अभी से कमलनाथ सबके निशाने पर

    एक्जिट पोल में मध्य प्रदेश में कांग्रेस के हारने के अनुमानों को लेकर भाजपा के नेता जीतने खुश नहीं हैं उससे ज्यादा खुश समाजवादी पार्टी के समर्थक खुश हैं। सोशल मीडिया में सपा का समर्थन करने वाले कई बड़े लोग, जिनमें रिटायर आईएएस, पुराने पत्रकार और कुछ नेता भी इस बात से खुश हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस हार सकती है। उन्होंने अभी से कमलनाथ पर ठीकरा फोड़ना भी शुरू कर दिया है। यह प्रचार किया जा रहा है कि कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के साथ समझौता नहीं किया और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर एक बार पत्रकारों...

  • मजबूत रहेगा विपक्ष

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भारी मतदान होने के बाद जीत - हार को लेकर विभिन्न प्रकार के दावे सामने आ रहे हैं और अधिकांश का मानना यही है कि प्रदेश में कांटे का मुकाबला है। ऐसे में इतना तय है कि सरकार में कोई भी आए विपक्ष बहुत मजबूत रहेगा। दरअसल, 2018 की विधानसभा चुनाव में बेहद करीबी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच हुआ था कांग्रेस ने बसपा, सपा और निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बना ली थी लेकिन 109 विधायकों के साथ भाजपा बेहद मजबूत विपक्षी दल के रूप में सामने था। सदन के...

  • आंकड़े अनुमान और अरमान

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान संपन्न होने के बाद इतने आंकड़े और अनुमान सोशल मीडिया पर आ रहे हैं कि सुबह किसी को लगता है उसके जीत के अरमान पूरे हो रहे हैं और शाम तक अरमानों पर पानी फिरता दिखता है। 30 नवंबर की शाम को और भी एग्जिट पोल के नतीजे आएंगे। 3 दिसंबर तक दिन में चैन ना रात की नींद प्रत्याशियों की ऐसी ही हालत है। दरअसल, प्रदेश के इतिहास में विधानसभा 2023 का चुनाव एक अभूतपूर्व चुनाव माना जा रहा है जिसमें भाजपा और कांग्रेस पिछले 5 वर्षों में...

  • मतगणना के लिए मशक्कत

    भोपाल। 17 नवंबर को प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है और 3 दिसंबर को मतगणना के लिए राजनैतिक दल और प्रत्याशी अभी से भारी मशक्कत कर रहे हैं जिससे कि अंतिम प्रयासों में कोई कमी न रह जाए किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो। दरअसल, पूरी चुनावी प्रक्रिया का अंतिम चरण मतगणना होती है जिसमें जो भी निर्णय मतदाता ने दिया है। इसका खुलासा होता है प्रदेश में विभिन्न चुनाव के दौरान कुछ ऐसी भी अवसर आए जब मतगणना पर सवाल उठाए गए। पुनः मतगणना कराई गई लेकिन लेकिन इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती...

  • विधानसभा चुनाव: विपक्ष से अधिक असंतुष्टों से खतरा..?

    भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति ने अब 'सेवा' नहीं 'कुर्सी' अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, शायद इसीलिए राज्य विधानसभा की 230 सीटों के लिए सभी दलों को मिलाकर कुल सीटों से 10 गुना से अधिक उम्मीदवार सामने आ रहे हैं, यह स्थिति राज्य के सिर्फ दो प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की है यदि उत्तर प्रदेश की तरह यहां भी बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी तथा दिल्ली पंजाब की तरह आम आदमी पार्टी सक्रिय होती तो टिकिटार्थियों की संख्या और भी कई गुना बढ़ जाती। अगले महीने जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे...

  • किंतु, परंतु, यद्यपि, लेकिन, चूंकि 3 दिसंबर तक

    भोपाल। नवंबर को प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं में अपनी चुप्पी भारी मतदान करके तोड़ी जिससे राजनीतिज्ञों के गणित उलझ गए सत्ताधारी दल भाजपा जहां लाडली बहना को भारी मतदान का श्रेय दे रही है वहीं विपक्षी दल कांग्रेस इस बदलाव का और आक्रोश का मतदान बता रहे हैं वही प्रत्याशी अपनी अपनी सीटों पर गुणा भाग में उलझे हुए हैं बहुत कम प्रत्याशी हैं जो अपनी जीत के प्रति निश्चित हैंI दरअसल विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश में दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने हर हाल में चुनाव जीतने की तैयारी की थी...

  • मध्य प्रदेश में कांग्रेस का आत्मविश्वास

    राजस्थान को लेकर कांग्रेस का भरोसा देर से बना है लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनाव शुरू होने के पहले से ही अति आत्मविश्वास में है। कांग्रेस के नेता इस बार चुनाव यह मान कर लड़ रहे हैं कि उन्हें सरकार बनानी है। कांग्रेस को लग रहा है कि पिछले चुनाव में जहां तक वह पहुंची थी उससे आगे बढ़ना है। कांग्रेस के इस आत्मविश्वास के कई कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि भाजपा ने बीच में उसकी सरकार गिराई। पिछली बार कांग्रेस चुनाव जीती थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस का वोट भाजपा से थोड़ा...

  • प्रजातंत्र के महायज्ञ में आज आहुति का दिन…?

    भोपाल। भारतीय प्रजातंत्र का मूल आधार मतदान है, देश और देशवासियों का भविष्य भी इसी के साथ जुड़ा है, हर भारतीय प्रजातंत्र का इसीलिए ‘नियंता’ माना जाता है, इसी माध्यम से देशवासी अपना पांच वर्षिय भविष्य तय करता है, इसलिए भारतीय प्रजातंत्र में इस दिवस का काफी महत्व है, भारत की आजादी के बाद कुछ वर्षों तक भारतवासी इस दिवस के महत्व को समझ नहीं पाया था, किंतु अब भारतीय प्रजातंत्र बुजुर्ग हो चुका है, इसलिए इस अवस्था में प्रजातंत्र का महत्व भी वह समझ गया है। चूंकि प्रजातंत्र का मूल आधार मतदान है, इसलिए हर प्रजातंत्री देश में मतदान...

  • हे नेताओं… आपके कर्मों का फल पार्टियों को भुगतना पड़ता है…

    भोपाल। मतदान के रूप में लोकतंत्र का उत्सव नेताओं के कर्मों का लेखाजोखा है और इसके फल उनकी मां स्वरूप पार्टियों को भुगतने पड़ते हैं। इसमे जनता से आपके सम्बन्ध, सहजता, सरलता और सदा सहयोग करने के सद्गुणों के साथ रिश्वतखोरी, गुंडागर्दी, धमण्ड, अनदेखी अय्याशी करने जैसे कर्मों पर हार-जीत का दारोमदार रहेगा। बारह नवंबर को दीपावली और उसके बाद यम द्वितीया का पर्व भी धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार संपन्न हो गया। यम को हमारे कर्मों का हिसाब रखने और उसके अनुरूप फल देने के रूप में भी देखा जाता है। जम्हूरियत में ये जिम्मा जनता के हाथ में...

  • शोर थमा डोर टू डोर शुरू

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रचार समाप्त हो गया है, शोरगुल थम गया है और अब प्रत्याशी और उनके समर्थक डोर टू डोर दस्तक दे रहे हैं। एक तरह से वोट पाने के अंतिम प्रयास तेज हो गए हैं लगातार चली धुआंधार कैंपेनिंग के बाद भी अधिकांश मतदाताओं ने अपनी खामोशी नहीं तोड़ी है जिंससे उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ गई है। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा राजनाथ सिंह नितिन गडकरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी नाथ स्मृति ईरानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा...

  • बुधनी में कुछ खास नहीं पर शिवराज का!

    बुधनी। लाल पत्थर का एक विशाल और भव्य प्रवेशद्वार बुधनी में आपका स्वागत करता है। ऐसे ही द्वार भाजपा के कई आला नेताओं की भी पसंद हैं।इस इलाके को प्रवेश द्वार के अलावा और भी कई चीज़ें बाकी से अलग करती हैं। दीवारें पेंटिंगों से सजी हुई हैं, सड़कें चौडीं हैं और आगंतुकों का स्वागत करते बोर्ड सब तरफ हैं।जाहिर है यह सब बुधनी के खास होने के परिचायक है। राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बुधनी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनाव क्षेत्र है। वे किसी चुनाव में यहा आ कर प्रचार नहीं...

  • भोपालः ‘इलेक्शन टाईट’और कंफ्यूजन!

    भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी पहुँचते ही जो पहली बात सुनाई पड़ती है वह है ‘इलेक्शन टाईट है’।उस नाते मध्यप्रदेश में भी चुनावी माहौल छत्तीसगढ़ जैसा ही है। दोनों ही राज्यों में कुछ महीने पहले तक कांग्रेस की आसान जीत होती दिख रही थी, जो पिछले कुछ हफ्तों में ‘कड़ी टक्कर’में बदल गई है।क्या इसे भाजपा के लिए उपलब्धि माने? परवह भाजपा, जिसका भोपाल गढ़ माना जाता रहा है! कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में डूबीहुई है जबकि लोगों की बातों में कांग्रेस ‘टाईट इलेक्शन’ में फंसी हुई है। विधानसभा चुनाव-2023 मध्यप्रदेशः ग्राउंड रिपोर्ट प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर का हल्ला है। बावजूद इसके भोपाल...

  • शोर थमने के पहले दहाड़े दिग्गज

    भोपाल। प्रदेश में 17 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए कल शाम को चुनावी शोरगुल थम जाएगा लेकिन इसके पहले 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने एक दूसरे पर जमकर गर्जना की। दरअसल तमाम प्रयासों के बावजूद भी मतदाता अपनी चुप्पी नहीं तोड़ रहा है इस कारण चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है। सोमवार को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भाजपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक नेताओं ने जगह-जगह सभाए लेकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की...

  • घटाटोप वादों का… वोटों की बरसात की उम्मीद…?

    भोपाल। मध्यप्रदेश में वर्षाऋतु खत्म होते ही वादों के घटाटोप और वोटों की बरसात की उम्मीद का मौसम शुरू हो गया है, राज्य में सक्रिय दोनों ही मुख्य राजनीतिक दल अपने घोषणा या संकल्प पत्रों के माध्यम से गरजने वाले बादलों की भूमिका का निर्वहन कर रहे है, हर राजनीतिक दल अपने पक्ष में वोटों की बरसात चाहता है, इसीलिए मतदाताओं को हर तरीके से अपने पक्ष में प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है, किंतु यहां फिर वही एक अहम् चिन्तनीय प्रश्नचिन्ह सामने खड़ा हुआ है कि हम पिछले सत्तर साल पुरानी चुनावी विचारधारा का त्याग कर विश्व के...

  • सवाल हाइपोथेटिकल कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष..!

    भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा कांग्रेस के दावों पर यकीन किया जाए तो सरकार वही बनाएंगे.. यानी सरकार में रहते भाजपा की सत्ता में वापसी का दावा तो 15 महीने की सरकार चला चुके नाथ कांग्रेस का मध्य प्रदेश की जनता से वादा नहीं गारंटी सरकार में वो लौट रही हैं.. कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा कमलनाथ तो भाजपा के कई सीएम इन वेटिंग होने के बावजूद चुनाव में सामूहिक नेतृत्व.. इसलिए प्रदेश नेतृत्व सत्ता और संगठन दोनों अपना फैसला हाई कमान पर छोड़ चुके है.. मिशन 2023 में दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय नेतृत्व के दखल और शीर्ष नेतृत्व की...

  • मध्य प्रदेश के प्रचार में डिम्पल यादव

    प्रादेशिक पार्टियां आमतौर पर वन मैन शो होती हैं। एक ही व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता विपक्ष, स्टार प्रचार आदि होता है। जब जैसी स्थिति होती है वह उसके मुताबिक भूमिका में होता है। समाजवादी पार्टी भी अपवाद नहीं है। जब मुलायम सिंह थे तो वे नेता थे और अब अखिलेश यादव नेता हैं। उनकी पत्नी डिम्पल यादव सांसद हैं। वे पहले भी सांसद रही हैं लेकिन अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर आमतौर पर प्रचार के लिए नहीं जाती हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी में कुछ चीजें बदल रही हैं। अखिलेश यादव...

  • चेहरा नहीं मोदी की जीत की गारंटी..या नई चुनौती..!

    भोपाल। भाजपा के लिए मिशन मोदी 2024 से पहले दूसरे 4 राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में सरकार बनाना जितना महत्वपूर्ण उतनी ही इस बार जीत किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं.. भविष्य की भाजपा या यह मिशन 2024 या किसी दूरगामी रणनीति के तहत मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया.. भाजपा ने 230 प्रत्याशियों में अपने 127 विधायकों में से 94 विधायकों को फिर टिकट दिया. कुल 27 विधायकों के टिकट काटे गए. 47 नये चेहरों को मौका दिया और बाकी बची सीटों पर पूर्व विधायक या हारे हुए प्रत्याशियों को मौका दिया. 6...

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