palestine

  • ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया ने फिलस्तीन को मान्यता दी

    नई दिल्ली। एक बड़े अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में ब्रिटेन ने फिलस्तीन को अलग स्वतंत्र देश के तौर पर औपचारिक मान्यता देने का ऐलान किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार को इसकी घोषणा की। इजराइल ने इसकी आलोचना की है। गौरतलब है कि ब्रिटेन ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अगर इजराइल गाजा पर नरसंहार करने वाले हमले बंद नहीं करता है तो वह फिलस्तीन को मान्यता दे देगा। ब्रिटेन के साथ ही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी फिलस्तीन को स्वतंत्र देश की मान्यता देने की घोषणा की। ध्यान रहे ब्रिटेन परमाणु शक्ति संपन्न देश है और...

  • कुंए की टर्र,टर्र ही अब नैरेटिव है!

    इन दिनों नैरेटिव से ही सब कुछ है। राजनीति, कूटनीति, यहाँ तक कि पत्रकारिता भी इसी पर थिरकती है। अब एक असरदार विमर्श, नैरेटिव के लिए बस इतना भर होना पर्याप्त है कि वह आपको बाँध ले, झकझोर दे, और हो सके तो आपको प्रभावित करते-करते सोचने की दिशा बदल दे। इतने ही मकसद कान इसका तंत्र है। जीतने-जीताने वाला नैरेटिव वह है, जिसमें कोई भी प्रतिवाद ऐसे फिसले जैसे तेल लगी सतह पर बारिश की बूँद। और यह अब भारत की राजनीति का नंबर एक तरीका और साधन है। नरेंद्र मोदी को छाए हुए ग्यारह साल हो गए है,...

  • इजराइल की दरकती बुनियाद देखिए!

    गजा में 22 महीनों से जारी मानव संहार से पश्चिमी देशों की जनता में फैली व्यग्रता का परिणाम अब इसी समर्थन में सेंध लगने के रूप में आ रहा है। इस तरह कहा जा सकता है कि अमेरिका और उसके साथी देशों ने गुजरे वर्षों के दौरान फिलस्तीन की स्वतंत्रता के सवाल को पृष्ठभूमि में डालने के जो प्रयास किए, उनका उलटा नतीजा सामने आ रहा है। फिलस्तीन के गज़ा इलाके के बाशिंदों की कुर्बानी बेकार नहीं गई है। उनमें से लाखों (हजारों की तो प्रत्यक्ष हमलों में मौत हुई है) लोग इजराइल के बर्बर मानव संहार का शिकार हुए...

  • फ़िलिस्तीन को स्टेट मान्यता का वक्त?

    दशकों से, ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ एक कूटनीतिक प्रतीक की तरह हवा में था। कई बार दोहराया गया।  पर कभी जमीनी बातचीत में नहीं उतरा। हालांकि इजराइल से सटा कर फिलीस्तीन देश बनाने का आईडिया नीति दस्तावेज़ों में रहा है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में भी झलका। शिखर बैठकों में भी औपचारिकता में जपा गया।  मानों जिक्र करना अपने आप में बहुत। लेकिन अब, जब ग़ाज़ा की राख में जलते हुए घरों के पीछे से भूख से सूनी आँखों वाले बच्चे टीवी स्क्रीन से झाँककर दुनिया की अंतरात्मा को कचोटते हैं, तो मसला गंभीर हो गया है। तीखेपन से महाशक्ति देश बोलने...

  • फ्रांस की दो टूक, फिलस्तीन एक देश!

    पिछले सप्ताह फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने वह कर दिखाया जिसे वैश्विक नेताओं ने या तो टाला, या डर के मारे चुप्पी साधी है, या फिर गोलमोल बाते की है। उन्होंने सीधी घोषणा की—फिलस्तीन एक संप्रभु राष्ट्र है। बिना किसी विशेषण, बिना किसी शर्त के। यह एक ठोस, जो टूक, निसंकोच तथा नीतिगत वक्तव्य था। उन्होंने कहा कि सितंबर में फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में फिलस्तीन को औपचारिक रूप से मान्यता देने वाला 148वां देश बनेगा। मैक्रों ने इसे “गंभीर निर्णय” कहा, और उनकी घोषणा का असर कूटनीतिक भूकंप की तरह हुआ। अमेरिका अवाक् रह गया। इज़राइल बौखला गया। अमेरिका...

  • इज़राइल आखिर हासिल क्या करना चाहता है?

    दुनिया भर में राजनीतिक गहमागहमी है। वैश्विक शतरंज की बिसात पर मोहरे इधर-उधर हो रहे है लेकिन  इज़राइल अकेला है जो एक जगह अडिग खड़ा हुआ है, भौहें तनी हुईं, आँखों में आग, और इरादों में वही पुराना रूख, अड़ियल आत्मविश्वास। उसे न वैश्विक आलोचना की परवाह, न अलग-थलग पड़ने का डर है और न तबाह, नष्ट होने की आशंका। इज़राइल लगातार आक्रामक है। आज भी बदला लेते हुए है। एक ऐसी जिद्द के साथ जो अब लगभग सभी को निर्दयी, अहंकारी, और अविचल लगने लगी है। और ऐसा होना इसलिए भी है क्योंकि उसकों ले कर अंतरराष्ट्रीय चुप्पी और...

  • फिलस्तीन के समर्थन का थैला लेकर पहुंचीं प्रियंका

    नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा सोमवार को संसद में एक ऐसा थैला लेकर पहुंचीं, जिस पर फिलस्तीन के समर्थन में नारे लिखे गए थे और फिलस्तीन के प्रतीक चिन्ह बने थे। इन्हें लेकर भाजपा ने सवाल उठाया और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। भाजपा ने कहा कि मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए प्रियंका इस तरह का बैग लेकर पहुंचीं। दूसरी ओर प्रियंका ने कहा कि वे क्या पहनेंगी, इसका फैसला वे खुद करेंगी। बहरहाल, प्रियंका जो बैग लेकर पहुंचीं थीं उस पर लिखा था- फिलस्तीन आजाद होगा। उस पर शांति का प्रतीक सफेद कबूतर और तरबूज भी बना...

  • फिलस्तीन मसले पर विदेश मंत्री ने बयान दिया

    नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजराइल और फिलस्तीन के संघर्ष को लेकर राज्यसभा में कुछ मसलों पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने गुरुवार को अपने बयान में इजरायल और फिलस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो राज्य बनाने के भारत के दीर्घकालिक समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने इजरायल के साथ साथ एक ‘संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलस्तीनी राज्य’ की स्थापना की अपील की। एस जयशंकर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान भारत द्वारा गाजा पर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रस्तावों से कथित रूप से दूर रहने के दावे का जवाब देते हुए कहा कि पिछले साल सात अक्टूबर...

  • अफरातफरी और बहुधुरी की दुनिया

    गाजा पिछले नौ महिनों से युद्ध की विभीषिका झेल रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के दो साल बाद भी लड़ाई जारी है। मौत, विनाश, दहशत और आतंक के हालात लगातार बने हुए हैं। दुनिया इन युद्धों में से एक पर ध्यान दी रही है और दूसरे से नजरें फेर रही है। एक युद्ध में पाखंड है और दूसरे में नृशंसता। लेकिन यह सब अब आम लगने लगा है। एक दिन आक्रोश नजर आता है, दूसरे दिन भय और तीसरे दिन आशंकाओं के काले बादल मंडराने लगते हैं। हम सब दो युद्धों से उपजे संकट को झेल रहे हैं,...

  • चीन के बाद भारत आएंगे अरब देशों के विदेश मंत्री

    नई दिल्ली। इजराइल और हमास की जंग के बीच अरब देशों के विदेश मंत्री दुनिया भर के देशों का दौरा कर रहे हैं। चीन का दौरा करने के बाद उनकी टीम भारत के दौरे पर आएगी। बताया जा रहा है कि इसी हफ्ते के आखिर तक कई अरब देशों के विदेश मंत्री एक साथ भारत आ सकते हैं। पश्चिम एशिया के हालात पर उनसे चर्चा होने की संभावना है। इस बीच उधर इजराइल और हमास की जंग में युद्धविराम की डील तय होने की खबरें आ रही हैं। हमास के नेता इस्माइल हानिया ने कहा है कि जल्दी ही समझौता...

  • इजराइल क्यों अमेरिका के लिए इतना खास?

    सवाल आज दुनिया में बहुत से लोगों के मन में है और इस पर खासी चर्चा भी हो रही है। तो आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं। अमेरिका के इस लगाव के संभवतः दो आयाम हैं। इनमें एक का संबंध अमेरिका की अंदरूनी राजनीति से है। दूसरा अमेरिका की वर्चस्ववादी महत्त्वाकांक्षाओं से संबंधित है। इन महत्त्वाकांक्षाओं के नजरिए से देखें, तो कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से समृद्ध पश्चिम एशिया पर नियंत्रण बरकरार रखना विश्वव्यापी अमेरिकी वर्चस्व के लिए निर्णायक महत्त्व का है।    सत्येंद्र रंजन फिलस्तीन के गजा में इजराइली अत्याचार दीर्घकालिक नजरिए से अमेरिका के लिए बहुत महंगा...

  • क्या इजराइल मिट जाएगा?

    दरअसल इजराइल की जान पर वही जिहादी आफत है, जो भारत के हिन्दुओं पर पिछले हजार, विशेष कर सौ सालों से है! जैसे विविध इस्लामी दस्तों, संगठनों ने भारत पर बाहर-अंदर से हमले किए हैं, उसी तरह इजराइल के बनते ही उस पर मिस्र, इराक, जोर्डन, लेबनान, सीरिया ने इकट्ठा हमला किया था। पर जो इजराइल को ही दुष्ट दोषी मान कर सारा विमर्श करते हैं, उन्हें याद रहे कि यहूदी लोग इतने शान्त स्वभाव रहे हैं कि खुद मुस्लिम उन्हें कायर कहते थे! भारत में सदा की तरह फिलीस्तीन का रोना शुरू हो गया है। जबकि इजराइल के लिए...

  • यहूदीः फिर नफरत और लड़ाई!

    क्या सही है और क्या गलत? एक तरफ आईने में दिखता लाइव सत्य है तो दूसरी तरफ उसे नकारती भावना, ख्याल, आशंका और स्मृतियां हैं। इंसान लाइव नरसंहार को देख विचलित हो या यह माने कि जैसे को तैसा या ये तो हैं ही इसी लायक! जैसा मैंने पिछले सप्ताह लिखा, अब्राहम की संतानों के तीनों धर्मों में परस्पर घृणा उतनी ही पुरानी है, जितना घृणा शब्द है। इजराइल-यरुशलम-फिलस्तीन की भूमि में पैदा यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों का सत्य है परस्पर नफरत। इन तीनों धर्मों से चार हजार वर्षों में पृथ्वी पर जितनी लड़ाइयां, क्रूसेड, नरसंहार हुए हैं वैसा...

  • गुस्साएं 45 करोड अरबी, आशंकित हुक्मरान

    अरब लोग नाराज़ हैं।ये दो दर्जन से ज्यादा देशों में फैलेकोई 45 करोड़ है। उनकी सहानुभूति फिलिस्तीन के साथ है। अरबी लोग फिलिस्तीनके पक्ष में खुल कर बोल रहे हैं। वे 24 घंटे टीवी से चिपके रहते हैं और सोशल मीडिया पर कभी खत्म न होने वाली चर्चा में हमास के भयावह हमले, जिसे उन्होंने ‘प्रिजन ब्रेक’ (जेल तोड़ना) का नाम दिया है, पर अपनी-अपनी बात कहते हुए हैं। उनके पोस्ट, बताते हैं कि वे हमास के बर्बर हमले के ज़बरदस्त समर्थक हैं। उनकी निगाह में इजराइल एक ‘युद्ध अपराधी’ है। वैसे कुछ अरब देशों ने इजराइल के साथ सामान्य...

  • पश्चिमी खेमे में फूट?

    यूरोपीय राजनयिक परेशान हैं। उनके मुताबिक अपने मौजूदा रुख से पश्चिम ने विकासशील दुनिया में अपना नैतिक बल खो दिया है। ये देश पूछ रहे हैं कि जो दलील पश्चिम यूक्रेन के मामले में दे रहा था, गाज़ा में उनका आचरण उसके विपरीत क्यों है? हमास के हमलों के बाद अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने फिलस्तीन विवाद में इजराइल को संपूर्ण समर्थन देने की नीति अपनाई है। जी-7 के सदस्य देशों के अलावा ज्यादातर यूरोपीय सरकारें भी अपने चिर-परिचित स्वभाव के मुताबिक बिना कोई सवाल उठाए अमेरिका के पीछे चली हैं। उन्होंने गाज़ा में इजराइल की अंधाधुंध कार्रवाइयों की...

  • भारत ने गाजा को मदद भेजी

    नई दिल्ली। इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग में दुनिया भर के देशों के साथ साथ भारत ने भी इजराइली हमले का शिकार हो रहे गाजा के लोगों के लिए मदद भेजी है। भारत ने मिस्र के रास्ते गाजा के लिए मानवीय मदद भेजी है। विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। गौरतलब है कि सात अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला किया था और उसके बाद पिछले 16 दिन से इजराइल लगातार गाजा पर बम बरसा रहा है। उसकी सेना जमीनी हमले के लिए भी तैयार है। भारत ने हमास के हमले को आतंकवादी...

  • अब्राहम की संतानें (यहूदी, ईसाई, मुसलमान) मानव या पशु?

    शीर्षक के शब्द भारी व निर्मम हैं। पर यह मानवता के ढाई हजार वर्षों के अनुभवों में उठा एकवाजिब और यक्ष प्रश्न है! जरा गौर करें मानव समाज के ज्ञात इतिहास पर। अब्राहम (अव्राहम अविनु,इब्राहिम) की पैतृक जड़ों से पैदा हुए धर्मों से मानव को क्या अनुभव हुआ? जवाब है लोगों कीदासता, लोगों पर तलवार, हजारों युद्ध, क्रूसेड, जिहाद, औपनिवेशिक गुलामी, महायुद्ध, नरसंहार, तमामतरह की तानाशाही तथा शीतयुद्ध से लेकर ताजा यूक्रेन-रूस युद्ध, यहूदी बनाम फिलस्तीनीलड़ाई का लंबा-चौड़ा शैतानी रिकॉर्ड! ऐसा क्या पृथ्वी पर किसी अन्य धर्म से या पूर्वोतर एशियाईधर्मों-सभ्यताओं, हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख से या ऑस्ट्रेलिया से लातिनी...

  • पूरे अरब में जबरदस्त गुस्सा

    तेल अवीव। गाजा सिटी के अल अहली अल अरब अस्पताल पर हुए रॉकेट हमले के बाद पूरे अरब जगत में जबरदस्त गुस्सा है। कई देशों में इजराइल के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हुए। इस हमले में पांच सौ लोग मारे गए हैं। हालांकि इजराइल इससे इनकार कर रहा है उसने हमला किया लेकिन अरब जगत के देश इस पर यकीन नहीं कर रहे हैं। इस हमले के बाद लेबनान, जॉर्डन, लीबिया, यमन, ट्यूनीशिया, तुर्की, मोरक्को, अल्जीरिया, ईरान और इजराइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए और रैलियां निकाली। संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने भी इस...

  • विपक्ष के नेता फिलस्तीन के राजदूत से मिले

    केंद्र सरकार ने हमास और इजराइल की जंग पर आधिकारिक रूप से जो बयान दिया उसमें उसने हमास के आतंकवादी संगठन बताते हुए उसके हमले की आलोचना की और फिलस्तीन के स्वतंत्र व संप्रभु राष्ट्र होने के अधिकार का समर्थन किया। लेकिन सरकार के बाद विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता अतिरिक्त पहल करके फिलस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। कई विपक्षी पार्टियों के नेता दिल्ली में फिलस्तीन के राजदूत से मिलने गए और अपना समर्थन दिया। इसमें कांग्रेस पार्टी की ओर से मणिशंकर अय्यर गए थे। पता नहीं आजकल पार्टी में उनकी क्या स्थिति है और यह भी पता नहीं...

  • इजराइल बनाम हमास के झगड़े की जड़ क्या?

    जिस जगह आज इजराइल है वहां 1948 में फिलीस्तीनी मुसलमान ही बहुसंख्या में थे। यूएन ने 48 फीसदी मुसलमानों को वइजराइलको 44 फीसदी जमीन दी। तब से मुसलमान यह कहते आए हैं किइजराइल उनकी जगह को खाली करें क्योंकि यह देश उनका है। मगरइजराइलपूरी जमीन को अपना मानता है। सबसे बड़ी समस्या यह हुई कि जिस गाजा पट्टी को लेकर विवाद चल रहा है उसमें यरूशलम भी आता हैं। यरूशलम में मुसलमानों कीतीसरे सबसे पवित्र स्थान अल अक्सा मस्जिद है। इसी के साथ साथ ईसाईयों के पवित्र स्थल भी हैं तो यहूदियों का मंदिर भी है। जब से फिलस्तीनी हमास...

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