संघ परिवार: मंदिर का व्यापार
अभी तो बस हाथ में आया, बल्कि किसी से छीना हुआ चेक भुनाना ही उन की संपूर्ण दृष्टि है। समाज-हित में दूरदर्शिता से उन का शायद ही कभी संबंध रहा है। वे मंदिर को पार्टी का व्यापार बनाकर मुनाफे की जुगत में हैं। आगे अयोध्या की गरिमा और सुरक्षा का भी क्या होगा? यह पहले की तरह उन के रडार से बाहर है। लुई पंद्रहवें की तरह, 'मेरे बाद कुछ हो, मेरी बला से!' ही उन की मानसिकता लगती है। इस्लामी आक्रांताओं ने सदियों से हजारों हिन्दू मंदिर तोड़े, और अनेक प्रमुख मंदिर-स्थलों पर मस्जिदें खड़ी कर दी। पर किसी...