संघ परिवार: क्षुद्र मानसिकता का प्रसार
हिन्दी फिल्म उद्योग पर कोलतार पोतना संघ-परिवार की फूहड़ 'नरेटिव' योजना का ही ट्रेडमार्क नमूना है। उन का आईटी सेल अनाम पोस्टों द्वारा फिल्मी हस्तियों, गतिविधियों पर कीचड़ उछालता रहता है। इस के बावजूद कि...
हिन्दी फिल्म उद्योग पर कोलतार पोतना संघ-परिवार की फूहड़ 'नरेटिव' योजना का ही ट्रेडमार्क नमूना है। उन का आईटी सेल अनाम पोस्टों द्वारा फिल्मी हस्तियों, गतिविधियों पर कीचड़ उछालता रहता है। इस के बावजूद कि...
अभी तो बस हाथ में आया, बल्कि किसी से छीना हुआ चेक भुनाना ही उन की संपूर्ण दृष्टि है। समाज-हित में दूरदर्शिता से उन का शायद ही कभी संबंध रहा है। वे मंदिर को पार्टी...
संघ नेताओं द्वारा गंभीर मुद्दों पर मुल्लों की तरह फतवे देकर मनगढ़ंत बातें कहने की जिद क्या दर्शाती है? यह कैसा आचरण है? यह न हिन्दू आचार है, न हिन्दू ज्ञान परंपरा से जुड़ाव, न...
संघ-भाजपा महापुरूषों ने उसी तबलीगी जमात के सरपरस्त को दो-दो बार राष्ट्रीय सम्मान देकर, तथा अन्य विविध संसाधन सहयोग देकर उस का हौसला बढ़ाया है। यह कैसी वीभत्स नीति है!अर्थात, हिन्दुओं की ही अन्य पार्टियों...
डॉ. अंबेदकर ने देखा था कि “मुसलमानों की माँगें हनुमानजी की पूँछ की तरह बढ़ती जाती हैं”। जिसे पूरा करते जाने के चक्कर में गाँधी ने देश-बँटवारा तक मान लिया।… इस प्रकार, भारत में वोट-बैंक...
नजारा घातक राजनीति है। सभी सूफी इस्लामी माँगे रखते हैं। उस ‘वर्ल्ड सूफी फोरम’ ने आतंकवाद विरोध के नाम पर दिल्ली सम्मेलन किया जिस में भाजपा महाप्रभु गये थे। पर उस की माँगे यह थीं...
संघ-परिवार के नेताओं का छलपूर्ण तर्क यह बनता है कि जब कांग्रेस सत्ता में हों, तब तो हिन्दू-हितों की दुर्गति के लिए राजसत्ताधारी जिम्मेदार हैं! लेकिन जब भाजपा सत्ता में हो, तब हिन्दू समाज ही...
जातियाँ बेशुमार नहीं थी। ई.पू. चौथी सदी में ग्रीक कूटनीतिज्ञ मेगास्थनीज से लेकर हुएन सांग, अल बरूनी, और हाल की सदी तक विदेशियों ने यहाँ गिनती की जातियाँ देखी थीं। सब से पहले 1891 ई....
इंडियन साइंस कांग्रेस में रा.स्व.संघ के शिक्षण मंडल की संस्था ‘रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन’ ने सोने की स्याही से लिखी एक कुरान को प्रदर्शित किया। इस प्रकार, साइंस के साथ कुरान को स्थान देकर इस...