Thursday

31-07-2025 Vol 19

ट्रंप से यूरोप चिंतित

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ट्रंप ने दो टूक कहा है कि राष्ट्रपति बनने पर वे यूक्रेन के लिए अमेरिकी मदद रोक देंगे। इसके अलावा नाटो के बारे में उनकी राय है कि इस सैनिक गठबंधन में यूरोप को अपनी सुरक्षा के अनुपात में खर्च वहन करना होगा।

जर्मनी में सोशल डेमोक्रेट्स के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के लिए अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत की खबर आने का संभवतः इससे खराब समय और नहीं हो सकता था। एक सहयोगी दल से बढ़े टकराव के कारण जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज की अपनी सरकार डगमगा गई है। आम संभावना है कि अगले मार्च में संसदीय चुनाव होंगे। इस समय धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी की लोकप्रियता ऊफान पर है। अब ट्रंप की जीत से यूरोप की धुर दक्षिणपंथियों को नई वैचारिक खूराक मिलेगी। बुधवार को ट्रंप की जीत की खबर आते ही यूरोप में हलचल तेज होने के संकेत मिले। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के संदर्भ में उन्होंने जर्मन चांसलर से बात की है।

उन्होंने लिखा- ‘इस नए संदर्भ में हम साथ मिलकर ज्यादा एकजुट, मजबूत, अधिक संप्रभु यूरोप की दिशा में काम करेंगे।’ यूरोप को सबसे बड़ी चिंता यूक्रेन युद्ध से संबंधित ट्रंप के रुख से है। ट्रंप दो टूक कहते रहे हैं कि राष्ट्रपति बनने पर वे यूक्रेन के लिए अमेरिकी मदद तुरंत रोक देंगे। इसके अलावा नाटो के बारे में उनकी पुरानी राय कायम है कि इस सैनिक गठबंधन में यूरोपीय देशों को इस गठबंधन से मिलने वाली सुरक्षा के अनुपात में अपना खर्च वहन करना होगा। यूरोपीय नेताओं की राय है कि ट्रंप ने अपनी इन दोनों घोषणाओं पर अमल किया, तो उससे उनकी सारी गणनाएं गड़बड़ा जाएंगी।

यूक्रेन को मदद देने में यूरोपीय नेताओं ने जोरदार उत्साह दिखाया है। अब उसमें कोताही वे नहीं दिखा सकते। जब अमेरिका में चुनाव नतीजे आ रहे थे, जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों के साथ नजर आईं। उन्होंने एक्स पर यूक्रेन को आश्वस्त करते हुए एक पोस्ट में लिखा- ऐसे समय में जब दुनिया मुग्ध होकर अमेरिका की ओर देख रही है, यहां यूक्रेन में आपके साथ होने से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती। हम आपके साथ रहेंगे। आपकी सुरक्षा, हमारी सुरक्षा है। अब ट्रंप ऐसे रुख पर क्या रुख लेंगे, इस पर यूरोप की निगाहें टिकी हुई हैँ।

NI Editorial

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