‘शरबत-ए-आज़म’ यानी कुंए का मीठा पानी
भोपाल। सचिन का फोन आया कि उनके नये नाटक का मंचन है और आपको आना है। अन्य व्यस्तताओं के कारण मेरा जाना संभव नहीं था। इस नये मौलिक नाटक का प्रमोशन सोशल मीडिया पर एक...
भोपाल। सचिन का फोन आया कि उनके नये नाटक का मंचन है और आपको आना है। अन्य व्यस्तताओं के कारण मेरा जाना संभव नहीं था। इस नये मौलिक नाटक का प्रमोशन सोशल मीडिया पर एक...
भोपाल। जीवन में मैं से हम हो जाने का अपना आनंद होता है और कौन दंपत्ति जीवन का यह आनंद नहीं चाहता लेकिन यह भी सच्चाई है कि मैं से हम होने की राह इतनी...
भोपाल। मंच पर रोशनी होती है और नाटक की नायिका प्रवेश लेती है। प्रवेश लेते ही वह दर्शकों से एकालाप करने लगती है। लगभग डे़ढ़ घंटे तक न रोशनी बंद होती है और न नायिका...
भोपाल। नाटक खत्म होते ही दर्शकाें के तालियों की गड़गड़हट थमने का नाम नहीं ले रही थी। पूरा अडिटोरियम खचाखच भरा हुआ था। इस नाटक से दर्शकाें को जितनी उम्मीदें रहीं होंगी उससे कहीं बहुत-बहुत...
भोपाल। “अक्सर खबरों में पढ़ता, सुनता रहता हूँ कि आप लोग पाकिस्तान से आतंकवादियों को सौंपने की मांग करते हैं। बदले में पाकिस्तान भी इसी तरह की मांगे आपके समक्ष रखते आया है। मेरी मोहब्बत...
भोपाल। स्कूल के दालान में चारों तरफ सैकड़ों स्कूली बच्चे बैठे हैं और बीचों बीच एक साधारण कुर्सी रखी हुई है। दैनंदिन पहनने वाली साधारण वेशभूषा में एक नौजवान रंगकर्मी बीचों बीच वाले स्थान में...
भोपाल। किसी भी रंग निदेशक के लिये वह दिन बेहद गर्व और रोमांच का दिन होता है जब किसी नाट्य समारोह में उसके गुरू के नाटक का भी मंचन हो और उसी दिन उसी समारोह...
भोपाल। भोपाल के रंगमंच में बरसों बाद या कहूं पहली बार किसी निजी नाट्य संस्था द्वारा पेशेवर अंदाज में नाटक की प्रस्तुति की गई। यह था धर्मवीर भारती रचित नाटक ’अंधा युग’ जिसे हम थियेटर...
भोपाल। विश्व के महान रंग निर्देशक, अभिनेता, नाटककार हबीब तनवीर साहब की जन्म शताब्दी के अवसर पर इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय के रंगमंच विभाग द्वारा व्याख्यान का आयोजन किया गया। रंगमंच विभाग के प्रमुख...
भोपाल। कुछ साल पहले चर्चित फिल्म ’सुपर-30’ का निर्माण हुआ था। इस फिल्म में कलाकारों के चयन के लिये प्रसिद्ध कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा पटना आये हुए थे। उन्होंने फिल्म के लिये जिन 30 बच्चों...
भोपाल । मुम्बई का पृथ्वी थियेटर नाट्य मंचन के लिये एक जाना पहचाना प्रतिष्ठित स्थान लंबे समय से बना हुआ है। इसकी प्रतिष्ठा के पीछे बड़ा कारण यह रहा है कि मुम्बई में हिन्दी रंगमंच...
भोपाल। नाटक शुरू होते ही नेपथ्य में आवाज गूंजती है, सूत्रधार के नैरेशन की। यह जानी पहचानी आवाज है प्रो. रामगोपाल बजाज की जिसका जादू दर्शकों को बांध लेता है। भारतीय रंगमंच के शीर्ष निदेशक...
भोपाल। थियेटर व फिल्मों का जितना करीबी रिष्ता इन दिनों देखने को मिलता है, वैसा पहले शायद नहीं रहा। थियेटर से फिल्मों व टी.वी. सीरियल में गये कलाकारों ने फिल्मों को एक नया कलेवर व...
भोपाल। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचता हूँ जिसे हंसी ही नहीं आती और जो कभी हंसा ही नहीं। क्या वह नाटक ’बागी अलबेले’ देखते हुए भी ऐसा ही रह सकता है। नहीं,...