Tuesday

08-07-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

पीछे की ओर दौड़

फिर भी भारतीय की आर्थिक प्रगति का नैरेटिव पेश किया जाता है, तो उसे दुस्साहस ही कहा जाएगा।

गतिरोध का हल नहीं?

संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खाई इतनी चौड़ी हो गई है कि उसके किसी समाधान की गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आती।

बांग्लादेश ने की अनसुनी

बांग्लादेश के साथ संवाद बनाने की भारत पहली कोशिश कोई खास नतीजा नहीं दे पाई।

बंटे आंदोलन का संघर्ष

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 20 महीनों तक संघर्षरत रहने के बाद एसकेएम को कामयाबी मिली।

भारत के चमकते अरबपति

जब मध्य वर्ग के ढहने और उपभोक्ता बाजार के मंद होने की चर्चा चिंता का कारण बनी हुई है, तभी भारतीय अरबपतियों का धन तेज रफ्तार से बढ़ा है।

बोलें ज़रा संभल कर

भाजपा सत्ताधारी पार्टी है। उसे यह ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि वह जो बोलती है, उससे भारत सरकार की राय से जोड़ कर देखा जाएगा।

देर से हुआ अहसास

सरकार के कर्ता-धर्ताओं को अहसास होने लगा है कि भारत की ‘ग्रोथ स्टोरी’ कहीं अटक गई है। वजह आबादी के बहुत बड़े वर्ग की उपभोग क्षमता में गिरावट है।

कानून का ये हाल!

कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें...

नहीं हुआ तो क्यों?

आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ‘चाइना प्लस वन’ अवसर का लाभ उठाने में भारत को सीमित सफलता ही मिली है।

बेहतर होता बहस होती

देशवासी यह तो समझने की अब बेहतर स्थिति में हैं कि चीन के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार का क्या रुख है, मगर उनके एक बड़े हिस्से के मन...

बांग्लादेश से गहरी चुनौती

अब चूंकि बात मुस्लिम पहचान पर आ गई है, तो स्वाभाविक नतीजा है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के समान अधिकार की आकांक्षा पर चोट की जा रही है।

विपक्ष में बिखराव

यह बात शायद ही किसी के गले उतरेगी कि दोनों सदनों में संविधान के 75 साल पूरा होने के मौके पर दो-दो दिन की बहस या समाजवादी पार्टी को...

सूचकांकों का संदेश

धनी और सरकारी सहायता पर निर्भर वर्ग तबके बेहतर स्थिति में हैं। मगर जिनकी जिंदगी मेहनत या उद्यम पर निर्भर है, वे तबके अपने उपभोग में कटौती कर रहे...

उलटा ट्रंप कार्ड

ट्रंप ने डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने पर ब्रिक्स देशों के उत्पादों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी है।

मान-अपमान से आगे

कनाडा के रास्ते अमेरिका में अवैध प्रवेश की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी।

स्वच्छ चुनाव का मुद्दा

चुनाव प्रक्रिया पर गहराया संदेह अभी देश के सामने एक बड़ा मुद्दा है। इस पर जन जागृति लाने की आवश्यकता है।

इंजीनियरिंग शिक्षा का संकट

हर साल 15 लाख इंजीनियरिंग छात्र जॉब मार्केट में आते हैं। लेकिन रोजगार ढूंढना उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

आंख खोलने वाले आंकड़े

सरकार ने पेट्रोलियम की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की नीति पर सचमुच अमल किया होता, तो साढ़े 36 लाख करोड़ रुपये लोगों की जेब में बचते।

अविश्वास के बीच युद्धविराम

पश्चिम एशिया में बुनियादी मुद्दे जहां के तहां हैं। जब तक पश्चिम एशिया में व्यापक शांति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती और फिलस्तीनी मसले का हल नहीं निकलता, लड़ाईबंदी की...

मध्य वर्ग की मुश्किलें

महंगाई और सामान्य आमदनी ना बढ़ने से ग्रस्त भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे पहली चोट 50,000 रुपये मासिक से कम आय वाले परिवारों पर पड़ी।

ट्रंप का व्यापार युद्ध

ट्रंप ने प्रस्तावित व्यापार युद्ध का पहला गोला दागा है। इससे दुनिया को संदेश दिया है कि उनका प्रशासन किसी समझौते का ख्याल नहीं करेगा।

प्रदूषण की आर्थिक मार

प्रदूषण से भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है। दिल्ली में हर साल औसतन 275 दिन खराब हवा दर्ज की जाती है। ये मुश्किलें स्पष्ट हैं।

संभल में जो हुआ

जब तक उपासना स्थल अधिनियम अस्तित्व में है, हर पूजा स्थल की 15 अगस्त 1947 को जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।

बाकू में वक्त बर्बाद?

अजरबैजान के बाकू में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) में कार्बन गैसों का उत्सर्जन रोकने का मुद्दा निष्प्रभावी ही बना रहा।

अब बड़े मुश्किल सवाल

इंडिया गठबंधन के सामने कठिन प्रश्न हैं। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से यह सवाल गहरा गया है कि क्या ये गठबंधन बनने के डेढ़ साल बाद भी अपना कोई...

बड़ी घोषणा, बड़े सवाल

मुख्य मुद्दा यह है कि ये समस्या पैदा ही क्यों हुई है। स्पष्टतः इसकी जड़ें आपराधिक न्याय प्रक्रिया पर अमल से जुड़ी है।

यह गंभीर मसला है

उद्देश्य विपक्ष को आगाह करना भर है कि चुनावी हेरफेर का सवाल वे केवल पराजय के दिन उठाएंगे और फिर सब भूल कर अगले चुनाव की तैयारी में जुट...

उत्सव है या मखौल?

स्पष्टतः एग्जिट पोल एजेंसियों, टीवी चैनलों और मीडिया संस्थानों को तनिक जरूरत महसूस नहीं हुई है कि हाल में जिस तरह वे झूठे साबित हुए हैं

अडानी पर बड़ा घेरा

अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि वहां सौर ऊर्जा संबंधी ठेके दिलवाने और उन परियोजनाओं में पैसा लगाने पर अमेरिकी निवेशकों को राजी करने के लिए अडानी...

करीब आता विश्व युद्ध

पहले अमेरिका में निवर्तमान जो बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ एटीएसीएमसी मिसाइलों के इस्तेमाल का अधिकार दे दिया

अब आगे की बात

सेनाओं के बीच आमने-सामने तैनाती की सूरत खत्म हो गई है, इसलिए भारत सरकार की राय में बुनियादी मसला हल हो गया है

2024 का सियासी पैगाम

प्यू के सर्वे में 24 देशों में अधिकांश लोगों ने कहा कि लोकतंत्र का आकर्षण कम हो रहा है।

वित्तीयकरण का जोर

विभिन्न कंपनियों की सालाना रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि भारतीय कारोबार जगत में अब सबसे ज्यादा मुनाफा बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और बीमा क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां कमा रही हैं।

रिश्तों में बढ़ते पेच

मोहम्मद युनूस ने शेख हसीना को प्रत्यर्पित कराने का इरादा जताया है।

मणिपुर की आवाज सुनें

हालात ऐसे बने हैं कि खुद बीरेन सिंह सरकार ने केंद्र से अफस्पा वापस लेने का अनुरोध किया है।

इसलिए छाया है धुआं

भारत अब दुनिया प्रति वर्ष सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन गया है। भारत का उत्सर्जन चीन की तुलना में 22 गुना तेजी से बढ़ रहा है।

अंदेशों के साये में

न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय टैक्स व्यवस्था, यूक्रेन और गजा में जारी युद्धों, और अमेरिका-चीन टकराव जैसे मुद्दों पर समूह के अंदर आम सहमति नहीं है।

देर से दुरुस्त फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने उचित व्यवस्था दी है कि भले ही कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए दंडित हो चुका हो, लेकिन उसकी वैध संपत्ति को नहीं तोड़ा जा सकता।

डायबिटीज का विकराल रूप

यह अवश्य कहा जाएगा कि डायबिटीज जिस तेजी से फैली है, उसके अनुरूप चिकित्सा सुविधाएं फैलाने के तकाजे को नजरअंदाज किया गया है।

महंगाई ने मारा डाला है

कोरोना महामारी के बाद से गणना की जाए, तो तमाम जरूरी चीजें दो से तीन गुना तक महंगी हो चुकी हैं

भारतीयों कुछ भी खा लेंगे?

अध्ययन में पाया गया कि भारत जैसे कम आय वाले देशों में जो खाद्य और पेय उत्पाद बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बेच रही हैं

निष्पक्ष दिखना जरूरी है

ई-कॉमर्स क्षेत्र की फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियों ने भारतीय कानून को तोड़ा हो, तो बेशक उन पर प्रावधान के अनुरूप सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या मणिपुर बेकाबू है?

मणिपुर में हफ्ते भर के अंदर जैसी हिंसा हुई है, उनसे यह सहज सवाल उठता है कि क्या इस राज्य पर किसी का नियंत्रण नहीं है?

वोट खरीदने की होड़

राजनीतिक दल जिस रास्ते पर चले हैं, उससे साफ है कि और कर्ज लेकर ऋण चुकाने के अलावा महाराष्ट्र के सामने कोई विकल्प नहीं रहेगा।

रिपोर्ट अनेक, संकेत एक

Economy crisis: देहाती इलाकों में कर्ज के बोझ तले दबे परिवारों की संख्या में साढ़े चार प्रतिशत इजाफा हुआ है।

कनाडा में बढ़ती मुश्किलें

ऐसा लगता है कि हालिया घटनाओं की रोशनी में कनाडा और उसके साथी देशों में राय बनी है कि भारत का अंदरूनी सांप्रदायिक टकराव अब निर्यात होकर उनके यहां...

जलवायु सम्मेलन का रस्म

ऊर्जा का सबसे ज्यादा उपभोग करने वाले धनिक वर्ग अपने जीवन स्तर में किसी कटौती के लिए तैयार नहीं हैं।

ट्रंप से यूरोप चिंतित

ट्रंप ने दो टूक कहा है कि राष्ट्रपति बनने पर वे यूक्रेन के लिए अमेरिकी मदद रोक देंगे।