trump tariff war : डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने द्विपक्षीय संबंधों में अधिकतम लाभ वसूलने की नीति खुलेआम अपना रखी है। अब यह भी साफ है कि उनकी इस नीति के पीछे अमेरिका के शक्तिशाली कॉरपोरेट्स, कृषि कंपनियां, एवं टेक इंडस्ट्री समूह मजबूती से खड़े हैं।
कम-से-कम भारत पर टैरिफ के मामले में अमेरिका का व्यापार जगत पूरी तरह राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ है। बल्कि ट्रंप ने जिन कदमों का प्रस्ताव किया है, उसने उनसे भी आगे जाकर दबाव बनाने की मांग की है।
यूनाइटेड स्टेट्स चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (यूएससीसी) और कॉलिशन ऑफ सर्विसेज इंडस्ट्रीज (सीएसआई) ने ट्रंप प्रशासन से टैरिफ के साथ-साथ “गैर-शुल्क रुकावटों” और “विनियमन संबंधी बाधाओं” को हटाने के लिए भी भारत पर दबाव डालने की मांग की है। (trump tariff war)
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) पहले ही भारत के “व्यापार व्यवहार” की जांच शुरू कर चुके हैं। सीएसआई ने ऑनलाइन डिलिवरी सेवा में भारतीय कंपनियों के हित में लागू “अनुचित प्रावधानों” को हटवाने की मांग की है।
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अब बात सिर्फ टैरिफ की नहीं (trump tariff war)
अमेरिकी व्यापारियों को भारत में गुणवत्ता नियंत्रण संबंधी नियमों पर भी एतराज है। अमेरिकी दुग्ध व्यापारियों का संगठन- आईडीएफए चाहता है कि भारत का डेयरी बाजार अमेरिकी उत्पादकों के लिए खुलवाया जाए।
गेहूं, सोयाबीन, और ड्राई फ्रूट कारोबारियों ने भारत में कथित ऊंचे शुल्क और अन्य रुकावटों की तरफ अपनी सरकार का ध्यान खींचा है। अमेरिकी दवा उद्योग भारत के पेटेंट कानून का मसला उठा ही चुका है। (trump tariff war)
अमेरिका ने स्टील और अल्यूमिनियम पर 25 प्रतिशत का जो शुल्क लगाया, उससे भारत के संबंधित उद्योग प्रभावित हो चुके हैं। दो अप्रैल से जैसे को तैसा शुल्क प्रणाली लागू होगी, जिसका असर अमेरिका होने वाले हर तरह के निर्यात पर पड़ेगा।
मगर यह साफ है कि बात अब सिर्फ टैरिफ की नहीं रह गई है। ट्रंप प्रशासन ने द्विपक्षीय संबंधों में अधिकतम लाभ वसूलने की नीति खुलेआम अपना रखी है। अब यह भी साफ है कि उनकी इस नीति के पीछे अमेरिका के शक्तिशाली कॉरपोरेट्स, कृषि कंपनियां, एवं टेक इंडस्ट्री समूह मजबूती से खड़े हैं। (trump tariff war)
इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उन देशों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने झुकने की नीति अपना रखी है। कनाडा, मेक्सिको, यूरोपियन यूनियन, और चीन जैसे जिन देशों ने जवाब देने का रुख अपनाया, वे ट्रंप प्रशासन से बेहतर डील लेने की स्थिति में हैं। इधर भारत के उद्योग-धंधों, रोजगार और विदेश व्यापार पर ट्रंप नीति की गहरी मार पड़ने की आशंका गहराती ही चली गई है।