विदेश मंत्रालय का बयान संकेत है कि आखिरकार भारत में ट्रंप के टैरिफ वॉर के सही रूप को समझा गया है। वैसे यह आरंभ से ही साफ था कि ट्रंप का मकसद सिर्फ अमेरिका के व्यापार घाटे को पाटना नहीं है।
आखिरकार भारत सरकार ने वो कहा, जो उसे बहुत पहले कह देना चाहिए था। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही भारत ने अपनी तरफ से उनसे तार जोड़ने की बेसब्री ना दिखाई होती, तो संभवतः ट्रंप उस तरह भारत का बार-बार अपमान नहीं करते, जैसा उन्होंने किया है। जब टैरिफ वॉर की बात आई, तभी भारत अपनी लक्ष्मण रेखाएं बता देता, तो आज की तरह वह खुद को घिरा हुआ नहीं पाता। बहरहाल, सोमवार को जब ट्रंप ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को “फंड करने” का इल्जाम भारत पर मढ़ा तथा टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी, तो उसके बाद भारत ने उन्हें आईना दिखाया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने खुद रूस से यूरेनियम, पैडियम, फर्टिलाइजर्स और केमिकल्स का आयात जारी रखा है। इसी तरह यूरोपियन यूनियन अपनी जरूरत की चीजें रूस से लगातार मंगवा रहा है। जबकि ये दोनों रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत को “अनुचित एवं अन्यायपूर्ण” ढंग से निशाना बना रहे हैँ। विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा कि ‘किसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत अपने राष्ट्रीय हितों एवं आर्थिक सुरक्षा की हिफाजत करेगा।’ यह बयान संकेत है कि आखिरकार भारत में ट्रंप के टैरिफ वॉर के सही रूप को समझा गया है।
वैसे आरंभ से ही साफ था कि ट्रंप का मकसद सिर्फ अमेरिका के व्यापार घाटे को पाटना नहीं है। बल्कि वे आयात शुल्क का इस्तेमाल दुनिया के भू-राजनीतिक समीकरणों एवं शक्ति संतुलन को अमेरिका के माफिक ढालने के लिए कर रहे हैं। इस संदर्भ में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा का ये कथन प्रासंगिक है कि ट्रंप विश्व सम्राट जैसा व्यवहार कर रहे हैं, जबकि दुनिया को सम्राट की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि ट्रंप ने ब्राजील की आंतरिक राजनीति एवं न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के मकसद से उस पर ऊंचा टैरिफ लगा दिया। भारत पर भी व्यापार से इतर मुद्दों को लेकर अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी गई है। अच्छी बात है कि आखिरकार भारत ने संदेश दिया है कि उसे अमेरिका का ये व्यवहार मंजूर नहीं है।