पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद पुराना है। 1970 के दशक से शुरू होकर 1980 के दशक में विकराल रूप लेने वाली पंजाब समस्या में यह एक खास मुद्दा था। इसलिए ताजा उठे विवाद को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
पंजाब और हरियाणा में भावनाएं ऊफान पर हैं। हिमाचल प्रदेश ने भी इसमें अपनी आवाज मिला दी है। भाखड़ा नंगल डैम से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का आदेश राजनीतिक विवाद में तब्दील हो गया है। पंजाब सरकार ने आदेश मानने से इनकार कर दिया है।
भाखड़ा नंगल बांध पर पंजाब पुलिस तैनात कर दी गई है। वैसे बोर्ड ने भी फैसला विवादास्पद ढंग से ही लिया। अतिरिक्त पानी का आदेश देने से पहले बोर्ड ने अपने निदेशक (जल विनियमन) को पद से हटा दिया, क्योंकि वे ऐसे निर्णय का विरोध कर रहे थे।
पंजाब-हरियाणा जल विवाद: पुराने घाव ताजा
उधर हरियाणा में मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सर्व-सम्मति से मांग की गई कि बीबीएमबी के निर्णय के अनुरूप पंजाब तुरंत हरियाणा के लिए पानी छोड़े। सैनी सरकार का दावा है कि पंजाब के अतिरिक्त जल ना देने से हरियाणा में पेय जल का संकट हो गया है।
हरियाणा के नेताओं ने पंजाब सरकार के रुख को “अमानवीय” ठहराया है। उधर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आरोप है कि जल बंटवारे में उनके राज्य का हिस्सा नहीं मिल रहा है। चूंकि नदियां हिमाचल से आती हैं, इसलिए उनकी मांग है कि भाखड़ा नंगल डैम से पैदा होने वाली पनबिजली में हिमाचल की रॉयल्टी 7.19 से बढ़ा 12 फीसदी की जाए।
गौरतलब है कि तीनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियां सत्ता में हैं। हरियाणा में भाजपा सत्ता में है, और इस कारण पंजाब के नेताओं ने खुलेआम इल्जाम लगाया है कि केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार उसके प्रति पक्षपात कर रही है। पंजाब में बीबीएमबी के निर्णय को इसी पक्षपात की मिसाल बताया गया है।
जाहिर है, मामला भड़कने के कगार पर है। पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद पुराना है। 1970 के दशक से शुरू होकर 1980 के दशक में विकराल रूप लेने वाली पंजाब समस्या में यह एक खास मुद्दा था। इसलिए इस सवाल को गंभीरता से लेने की जरूरत है। उचित यह होगा कि सभी संबंधित सरकारें दलगत हितों से उठ कर मानवीय नजरिए से समय रहते ये मसला हल कर लें।
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