उत्तराखंड के नैनीताल जिले की शांत और आध्यात्मिक वादियों में स्थित कैंची धाम आज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अपनी चमत्कारी ऊर्जा और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
यह धाम नीम करोली बाबा का आश्रम कैंची धाम है, जिन्हें लोग हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा का यह तपोस्थल आस्था का वह केंद्र है जहाँ हर दिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु उनका आशीर्वाद प्राप्त करने पहुँचते हैं।
यह आश्रम केवल भारतीय भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी भक्तों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स से लेकर फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग तक कई नामी हस्तियाँ यहाँ आकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर चुकी हैं।
कैंची धाम नाम की कहानी भी रोचक है। यह नाम दरअसल यहाँ की भौगोलिक संरचना से जुड़ा है। जिस स्थान पर यह आश्रम बना है, वह दो पहाड़ियों के बीच “कैंची” (चीरा या कटाव) जैसी आकृति में स्थित है, जिससे इसका नाम “कैंची धाम” पड़ा।
बाबा नीम करोली का यह आश्रम 1974 में स्थापित हुआ था और हर वर्ष 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने पहुँचते हैं।
कहा जाता है कि बाबा नीम करोली हनुमान जी के परम भक्त थे और उनके जीवन में कई ऐसे चमत्कार घटित हुए, जिन्होंने भक्तों की आस्था को और प्रगाढ़ किया।
यही कारण है कि कैंची धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक जीवंत चमत्कारिक तीर्थ स्थल बन चुका है, जहाँ भक्तों को शांति, समाधान और संकल्प की शक्ति मिलती है।
कैंची धाम नाम कैसे पड़ा?
उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में स्थित कैंची धाम भारत के आध्यात्मिक केंद्रों में से एक है, जो विशेष रूप से नीम करोली बाबा के कारण श्रद्धालुओं के बीच आस्था और चमत्कार का प्रतीक बन चुका है।
कैंची धाम का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में यह सवाल आता है कि इसे “कैंची” क्यों कहा गया? इसका उत्तर इसके भौगोलिक स्वरूप में छुपा है। नीम करोली बाबा का यह पवित्र आश्रम दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिनकी आकृति आपस में मिलकर ठीक कैंची के आकार का आभास कराती है।
इसकारण इसका नाम कैंची धाम पड़ा। कैंची धाम के पास एक गुफा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह वह जगह है, जहां नीम करोली बाबा ध्यान और प्रार्थना करते थे।
मान्यता है कि बाबा ने जानबूझकर इस स्थान को अपने ध्यान और सेवा के लिए चुना, क्योंकि इसका प्राकृतिक स्वरूप एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र जैसा अनुभव कराता है।
यह भी कहा जाता है कि आश्रम के समीप एक गुफा है, जहां बाबा नीम करोली ध्यान करते थे और भक्तों के कल्याण हेतु प्रार्थनाएं करते थे। यह गुफा आज भी श्रद्धालुओं के लिए गहन भक्ति और शांति का केंद्र बनी हुई है।
कैंची धाम क्यों प्रसिद्ध है?
कैंची धाम केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और चमत्कारी अनुभवों के लिए विख्यात है। 1960 के दशक में नीम करोली बाबा ने इस स्थान को अपनी साधना और सेवा का केंद्र बनाया।
बाबा को हनुमान जी का अवतार भी माना जाता है, और उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे चमत्कार किए जिनके कारण उनके अनुयायियों की संख्या भारत में ही नहीं, विदेशों में भी लाखों में है।
हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशाल वार्षिक मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से यहां बाबा का आशीर्वाद लेने आता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
कैंची धाम अपने शांत वातावरण, हरे-भरे जंगलों, कल-कल करती नदियों और बाबा की उपस्थिति से भरपूर आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण न केवल साधकों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आदर्श स्थल बन गया है।
आध्यात्मिकता और चमत्कारों का संगम
कैंची धाम में प्रवेश करते ही हर श्रद्धालु को एक अलग ऊर्जा का अनुभव होता है। यहां की हवा में ही भक्ति और शांति घुली हुई है। नीम करोली बाबा के जीवन से जुड़े अनेक चमत्कारी प्रसंग, जैसे पानी को घी में बदलना, भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करना, और असाध्य रोगों को ठीक करना, आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
कैंची धाम केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा, और अध्यात्म का जीवंत केंद्र है। यह वह स्थान है जहां भक्तों को न केवल बाबा नीम करोली का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उन्हें अपने जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता भी प्राप्त होती है। यही कारण है कि कैंची धाम आज दुनियाभर में एक प्रसिद्ध और पूजनीय स्थान बन चुका है।
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