Wednesday

30-07-2025 Vol 19

बिजली गिरकर खंडित होने से फिर जुड़ जाता है यह शिवलिंग, 12 साल में एक बार होता चमत्कार

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bijli mahadev: सावन का पवित्र और शिवजी का प्रिय महीना चल रहा है. इस महीने में शिवजी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. भारत में शिवजी के कई चमत्कारी और प्रसिद्ध मंदिर है. जहां पर महादेव अपने भक्तों की रक्षा के लिए विराजमान है.(bijli mahadev) माना जाता है कि उत्तराखंड में और हिमाचल में महादेव ने अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी रक्षा के लिए वहीं पर विराजित हो गए थे. भगवान शंकर के सबसे ज्यादा मंदिर उत्तराखंड में और हिमाचल में ही माने जाते है. आज हम ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिर मंदिर की बात करेंगे जहां पर भगवान भोले शंकर भक्तों की रक्षा के लिए सभी कष्ठ अपने ऊपर ले लेते है. जी हां आज हम बात कर रहे है हिमाचल के कूल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर की…

हिमाचल के कूल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत महत्वपूर्ण है. मंदिर कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में स्थित है, जो 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. बिजली महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग पर हर 12 साल में एकबार रहस्यमयी तरीके से बिजली गिरती है और शिवलिंग खंडित हो जाता है. कहा जाता है कि मंदिर के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े को इकट्ठा करके उन्हें नाज, दाल के आटे और कुछ अनसाल्टेड मक्खन से बने पेस्ट के उपयोग से जोड़ते हैं. कुछ महीनों के बाद शिवलिंग पहले जैसा रूप लेने लगता है.

 

भोलेनाथ करते है अपने भक्तों की रक्षा

स्थानीय लोगों के अनुसार, पीठासीन देवता क्षेत्र के निवासियों को किसी भी बुराई से बचाना चाहते हैं, जिस वजह से बिजली शिवलिंग से टकरा जाती है. कुछ लोगों का मानना है कि बिजली एक दिव्य आशीर्वाद है जिसमें विशेष शक्तियां होती हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे. इसलिए भोलेनाथ अपने भक्तों की रक्षा के लिए बिजली को अपने ऊपर गिराते हैं. इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है. कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी की दूरी करीब सात KM है.

 

यह है संपूर्ण कथा

ऐसा कहा जाता है कि एक बार कुल्लू की घाटी में कुलंत नाम का एक राक्षस रहता था. एक दिन, उसने एक विशाल सांप में अपना रूप बदल दिया और पूरे गांव में रेंगते हुए लाहौल-स्पीति के मथन गांव पहुंच गया. ऐसा करने के लिए, उन्होंने ब्यास नदी के प्रवाह को रोकने की कोशिश की, जिस वजह से गांव में बाढ़ आ गई थी. भगवान शिव राक्षस को देख रहे थे, गुस्से में उन्होंने उसके साथ युद्ध करना शुरू कर दिया. शिव द्वारा राक्षस का वध करने के बाद और सांप को तुरंत मारने के बाद, वे एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिससे इस शहर का नाम कुल्लू पड़ गया. बिजली गिराने को लेकर लोक मान्यता है कि भगवान शिव के आदेश से भगवान इंद्र हर 12 साल में बिजली गिराते हैं.

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