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मोदी के सपने तार-तार

विशालकाय हाथी, मतलब दुनिया का नंबर दो अमीर अदानी! और हाथी की पीठ के हौदे पर बैठे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी! जाहिर है वे अपने वेल्थ क्रिएटर से सपने देखते हुए थे। याद करें ठीक दो साल पहले फरवरी 2021 में संसद भवन में नरेंद्र मोदी ने क्या कहा था? पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 53वीं पुण्यतिथि के दिन उनका कहना था- देश के लिए वेल्थ क्रिएटर्स (खरबपति) जरूरी हैं। मतलब देश का भविष्य अंबानी-अदानियों से है। उसी पर मैंने इसी कॉलम में 13 फरवरी 2021 को लिखा था- लोकसभा में डंके की चोट अंबानी-अदानी। और इसकी लाइनें थीं- धन्य हैं नरेंद्र मोदी! आखिर कुछ भी हो, जो बात भारत की संसद में किसी प्रधानमंत्री ने नहीं कही उसे नरेंद्र मोदी ने डंके की चोट कहा।…

उसी गपशप कॉलम का अगला शीर्षक था- बाबुओं छोड़ो सब और बेचों खरबपतियों को!- इसमें यह लाइन थी- बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में जो आईना दिखाया वह आजाद भारत की इतिहासजन्य घटना है। क्या गजब वाक्य कि क्या-सब कुछ बाबू ही करेंगे? आईएएस बन गया मतलब वह फर्टिलाइजर का कारखाना भी चलाएगा, आईएएस हो गया तो वह हवाई जहाज भी चलाएगा। यह कौन सी बड़ी ताकत बना कर रख दी है हमने? बाबुओं के हाथ में देश दे करके हम क्या करने वाले हैं? ….

सचमुच आजाद भारत के 73 साला इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने संसद में कभी पहले यह नहीं कहा कि जनता की कल्याणकारी व्यवस्था निजी क्षेत्र के वेल्थ क्रिएटरों से ही संभव है। उस नाते संघ-भाजपा को अब संविधान संशोधन कर ‘सेकुलर’ के अलावा ‘समाजवादी’ शब्द भी मिटाना होगा। जाहिर है अब ‘हिंदू पूंजीवादी राष्ट्र’ का विचार दर्शन संघ-भाजपा का उद्घोष, संकल्प है।

मेरा वह लिखा हुआ आज क्या बताता हुआ है? तभी सोचें अब प्रधानमंत्री क्या सोचते हुए होंगे? क्या गौतम अदानी ने उनके सपनों का बैंड नहीं बजाया? नरेंद्र मोदी को इतना तो अहसास हुआ होगा कि अपने नौ साल के राज में उन्होंने दुनिया का वह सबसे बड़ा वेल्थ क्रिएटर पैदा किया है, जिसे कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा ठग कहा जा रहा है।

संभव है मैं गलत हूं। पर लगता है कि मोदी और अमित शाह अदानी ग्रुप के हस्र से निजी तौर पर आहत व घायल होंगे। कई कारणों से दोनों के सपने चूर-चूर हुए हैं। इन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि गौतम अदानी का एंपायर ऐसे ढहने लगेगा। तभी सचमुच में आने वाले दिनों, महीनों में देखना है कि जब वैश्विक वित्तीय मीडिया अदानी एपांयर की असलियत खंगालेगा और रिपोर्टें छपेंगी तब गौतम भाई के लिए नरेंद्र भाई, अमित भाई कितना कुरबान होंगे?

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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