नई दिल्ली। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान यानी एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर किसी जीवित व्यक्ति को मरा हुआ दिखा कर उसका नाम काट दिया गया है तो उसकी जानकारी अदालत को दी जाए, तब अदालत तत्काल कार्रवाई करेगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि अगर बड़ी संख्या में लोगों के नाम कटते हैं तो अदालत इस मामले में दखल देगी।
इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि 12 अगस्त से बिहार में चल रहे मतदाता सूची के पुनरीक्षण मामले की सुनवाई शुरू होगी। अदालत में सुनवाई के दौरान इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों के बारे में कहा जा रहा है कि वे अपना घर छोड़कर कहीं और चले गए हैं, तो कुछ लोगों का बारे में कहा जा रहा है कि वे मर गए हैं।
इस पर जस्टिस बागची ने कहा- ‘हम इस पूरे मामले को देख रहे हैं। अगर बड़े पैमाने पर मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से काटा जा रहा है, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। आप ऐसे 15 लोगों को लेकर आइए जो कहें कि वे जीवित हैं और उनको मरा दिखाकर नाम काट दिया गया है’। सोमवार को एसआईआर पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘अगर खामी मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर देंगे’। साथ ही चुनाव आयोग से पूछा कि, ‘आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता पहचान के लिए स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है’।