भोपाल। आज तेलंगाना में मतदान सम्पन्न होने के साथ ही पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों का यह दौर समाप्त हो गया है, अब पांच राज्यों के ही नहीं पूरे देश के मतदाताओं व राजनीतिक दलों को इन चुनावों के परिणामों का बेसब्री से इंतजार है, चूंकि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इन चुनावों को एक सौ दिन बाद होने वाले लोकसभा चुनावों का ‘सेमीफायनल’ मान रहे है, इसलिए देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सर्वोच्च नेता भी इन चुनावों के परिणामों के प्रति काफी उत्सुक है, इन पांच राज्यों के चुनावों के प्रति क्षेत्रीय दलों के साथ दोनों राष्ट्रªीय दल भाजपा व कांग्रेस भी अपनी सुनहरी कल्पना में खोए है, खैर, अब इनकी उत्सुकता को जनता का जवाब मिलने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है, अगले पचास घंटों में ही उसके नजारे स्पष्ट आने लगगें, किंतु यह देखा जा रहा है कि उस बार प्रतिपक्षी दलों की अपेक्षा सत्तारूढ़ दल के परिणाम जानने की बेसब्री ज्यादा है, हाल ही में जिन पांच राज्यों में चुनाव सम्पन्न हुए उनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ प्रमुख है, इनके अलावा तेलंगाना और मिजोरम है।
इनमें से तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भाजपा-कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है, जबकि शेष दो राज्यों में भाजपा-कांग्रेस पर क्षेत्रीय दल भारी नजर आ रहे है, फिलहाल राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, मध्यप्रदेश में भाजपा, तेलंगाना में बीआरएस तथा मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट को अपनी विजय का विश्वास है। यदि हम तेलंगाना तथा मिजोरम को क्षेत्रीय दलों के भरोसे छोड़ भी दे तो तीन हिन्दी भाषी राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही है और इन तीन राज्यों में से दो राज्यों राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तथा मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है।
अब यदि राजनीतिक नहीं, बल्कि चुनावी आईने में यदि हम इन राज्यों व उनकी राजनीतिक स्थिति का आंकलन करते है तो तीनों हिन्दी भाषी प्रदेशों मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा अन्यों पर भारी नजर आ रही है, जबकि इन तीन राज्यों में से दो में फिलहाल कांग्रेस की सरकारें है, भाजपाशासित अकेला मध्यप्रदेश है, किंतु इस बार इन राज्यों में चूंकि प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस भाजपा के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई अपने पक्ष में विकल्प नहीं खोज पाई, इसलिए राजनीतिक ज्योतिषि इन चुनावों में भी इन राज्यों में भाजपा को ही अहमियत दे रहे है, मध्यप्रदेश तो भाजपाशासित है ही, अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के सितारे अस्त होते नजर आ रहे है, हर कहीं यही कयास लगाए जा रहे है।
यदि हम इन विधानसभा चुनावों को भावी लोकसभा चुनावों के संदर्भ में देखें, तो उसके प्रति भी भाजपा व उसके नेता कांग्रेस से अधिक आशान्वित नजर आ रहे है। और इसका कारण भाजपा अपने सर्वोच्च नेता नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता बता रही है और कांग्रेस को अंगूठा दिखाकर पूछ रही है कि ‘‘हमारे पास मोदी है, तुम्हारे पास कौन?’’ और कांग्रेस इस प्रश्न का सीधा-सीधा जवाब नहीं दे पा रही है।
ये पांच राज्यों के चुनाव और उनके परिणाम इसीलिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे है, क्योंकि राजनीतिक दल और उनके नेता इनके परिणामों में अपना भविष्य खोजने वाले है और इन्हीं के आधार पर अगले लोकसभा चुनावों के परिणामों के भी अनुमान अभी से लगाए जाने लगे है।