nayaindia Multi storey building fire सावधान रहे बहुमंज़िला इमारतों के रहवासी!

सावधान रहे बहुमंज़िला इमारतों के रहवासी!

Multi storey building fire
Multi storey building fire

स्पेन में एक 14 मंजिला इमारत में आग लगी।आग इतनी भयानक थी कि लोगों ने जान बचाने के लिए बिल्डिंग से छलांग तक लगाई। कुछ ही मिनटों में 140 मकानों की बिल्डिंग धू-धू कर राख हो गई। इसकी वजह में इन मकानों में लगे पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग को आग की भयावहता के लिए जिम्मेवार बताया गया। क्या है यह? जाहिर है इन दिनों ऐसे उत्पाद लग रहे हैं जो देखने में सुंदर होते हैं परंतु आपदा में खतरनाक। Multi storey building fire

बीते सप्ताह स्पेन के शहर वैलेंसिया से आगजनी की एक खबर ने चौतरफा चिंता बनाई। दुनिया भर में बहुमंज़िला इमारतों में रहने वालों के लिए कई सवाल खड़े कर दिये हैं। वहाँ एक 14 मंजिला इमारत में आग लगी।  आग इतनी भयानक थी कि जान बचाने के लिए लोगों ने बिल्डिंग से छलांग तक लगाई। परंतु जिस तरह इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स के 140 मकान कुछ ही मिनटों में धू-धू कर राख हुए उससे इन मकानों में लगे पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग को आग की भयावहता में योगदान देने का दोषी पाया गया है। जाहिर है इन दिनों आधुनिकता के नाम पर ऐसे कई उत्पाद देखने को मिलते हैं जो देखने में सुंदर ज़रूर होते हैं परंतु क्या वे ऐसी आपदाओं से लड़ने में समर्थ होते हैं? Multi storey building fire

सन् 2009 में स्पेन के शहर वैलेंसिया में बने इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स को बनाने वाली कंपनी का दावा था कि इस बिल्डिंग के निर्माण में एक अत्याधुनिक अल्युमीनियम उत्पाद का इस्तेमाल किया गया है जो न सिर्फ़ देखने में अच्छा लगेगा बल्कि मज़बूत भी होगा। वेलेंसिया कॉलेज ऑफ इंडस्ट्रियल एंड टेक्निकल इंजीनियर्स के उपाध्यक्ष, एस्तेर पुचाडेस, जिन्होंने इमारत का निरीक्षण भी किया था,  उन्होने मीडिया को बताया कि जब पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग को गर्म किया जाता है तो वह प्लास्टिक की तरह हो जाती है और इसमें आग लग जाती है। इसके साथ ही बहुमंज़िला इमारत होने के चलते तेज़ हवाओं ने भी आग को भड़काने का काम किया।

उल्लेखनीय है कि जून 2017 में लंदन के ग्रेनफेल टॉवर में लगी भीषण आग में भी पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग लगी थी, जो 70 से अधिक लोगों की मौत का कारण बनी। उसके बाद से दुनिया भर में इसकी ज्वलनशीलता को कम करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के बिना इमारतों में पॉलीयुरेथेन का अब व्यापक रूप से उपयोग नहीं होता है। परंतु स्पेन के शहर वैलेंसिया में बने इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स में पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग का इस्तेमाल इस हिदायत को दिमाग़ में रख कर हुआ था या नहीं, यह अब जाँच का विषय है।

इस दर्दनाक हादसे ने दुनिया भर में बहुमंज़िला इमारतों में रहने या काम करने वालों के मन में यह सवाल उठा दिया है कि क्या बहुमंज़िला इमारतों में आगज़नी जैसी आपदाओं से लड़ने के लिए उनकी इमारतें सक्षम हैं? क्या विभिन्न एजेंसियों द्वारा आगज़नी जैसी आपदाओं की नियमित जाँच होती है? क्या इन ऊँची इमारतों में लगे अग्नि शमन यंत्र जैसे की फायर एक्सटिंगशर और आग बुझाने वाले पानी के पाइप जैसे उपकरणों आदि की गुणवत्ता और कार्य पद्धति की भी नियमित जाँच होती है?

क्या समय-समय पर विभिन्न आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ आपदा संबंधित ‘मॉक ड्रिल’ करवाती हैं? क्या स्कूलों में बच्चों को आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा आपात स्थिति में संयम बरतने और उस स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है? यदि इन सवालों को विदेशों की तुलना में भारत पर सवाल उठाएँ तो इनमें से अधिकतर सवालों का उत्तर ‘नहीं’ में ही मिलेगा।

स्पेन के शहर वैलेंसिया में हुए इस भयावह हादसे ने एक बार यह फिर से सिद्ध कर दिया है कि सावधानी हटी – दुर्घटना घटी। वैलेंसिया की इस इमारत को बनाते समय इसके बिल्डर ने ऐसी क्या लापरवाही की जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ? इसके साथ ही जिस तरह वहाँ के अग्निशमन दल और अन्य आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने बचाव कार्य किए उसके बावजूद कई जानें गयी तो इस पर क्या माने? । इससे वहाँ के आपदा प्रबंधन पर भी सवाल उठते हैं। वहीं यदि देखा जाए तो यदि ऐसा हादसा भारत में हुआ होता तो मंज़र कुछ और ही होता।

भारत के कई महानगरों और उसके आसपास वाले छोटे शहरों में बहुमंज़िला इमारतों का चलन बढ़ने लगा है। परंतु जिस तरह देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही है उसके साथ-साथ आपात स्थितियों से निपटने की समस्या भी बढ़ती जा रही है। मिसाल के तौर पर इन महानगरों और उनसे सटे उपनगरों में बढ़ती ट्रैफ़िक की समस्या। ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लगने वाले रेढ़ी और फेरी वालों की दुकानें। सड़कों पर ग़लत ढंग से की जाने वाली पार्किंग आदि।

यह कुछ ऐसे प्राथमिक किंतु महत्वपूर्ण कारण हैं जो आपात स्थिति में आपदा प्रबंधन में रोढ़ा बनने का काम करते हैं। इन कारणों से जान-माल का नुक़सान बढ़ भी सकता है। एक ओर जब हम विश्वगुरु बनने का ख़्वाब देख रहे हैं वहीं इन बुनियादी समस्याओं पर हम शायद ध्यान नहीं दे रहे।

एक कहावत है कि ‘जब जागो-तभी सवेरा’, इसलिए हमें ऐसी दुर्घटनाओं के बाद सचेत होने की ज़रूरत है। देश में आपदा प्रबंधन की विभिन्न एजेंसियों को नागरिकों के बीच नियमित रूप से जा कर जागरूकता फैलानी चाहिए। इसके साथ ही सभी नागरिकों को आपात स्थिति में संयम बरतते हुए उससे लड़ने का प्रशिक्षण भी देना चाहिए।

इतना ही नहीं देश भर में मीडिया के विभिन्न माध्यमों से सभी को इस बात से अवगत भी कराना चाहिए कि विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर या बहुमंज़िला इमारतों में लगे आपात नियंत्रण यंत्रों का निरीक्षण कैसे किया जाए। यदि किसी भी यंत्र में कोई कमी पाई जाए तो उसकी शिकायत संबंधित एजेंसी या व्यक्ति से तुरंत की जाए।

कुल मिलाकर देखा जाए तो वैलेंसिया में हुआ एक दुखद हादसा है और उससे पूरी दुनिया को सबक लेना चाहिए। इस हादसे में न सिर्फ़ करोड़ों का माली नुक़सान हुआ है बल्कि बहुत लोगों की जानें भी गईं। परंतु क्या हम ऐसे दर्दनाक हादसों से सबक़ लेंगे? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। ऊँची इमारतों या आलीशान शॉपिंग मॉल में जा कर हम काफ़ी खुश होते हैं। परंतु क्या हमने कभी ऐसा सोचा है कि यदि इन स्थानों पर कोई आपात स्थिति पैदा हो जाए तो हम क्या करेंगे?

क्या हम उस समय अपने स्मार्ट फ़ोन पर गूगल करेंगे कि आपात स्थिति से कैसे निपटा जाए? या हमें पहले से ही दिये गये प्रशिक्षण (यदि मिला हो तो) को याद कर उस स्थिति से निपटना चाहिए? जवाब आपको ख़ुद ही मिल जाएगा। सरकार के लिए आपदा प्रबंधन जागरूकता पर विशेष ध्यान देते हुए एक अभियान चलाने की ज़रूरत है। जिससे न सिर्फ़ जागरूकता फैलेगी बल्कि आपदा प्रबंधन विभागों में रोज़गार भी बढ़ेगा वही जान-माल का नुक़सान भी बचेगा। Multi storey building fire

By विनीत नारायण

वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी। जनसत्ता में रिपोर्टिंग अनुभव के बाद संस्थापक-संपादक, कालचक्र न्यूज। न्यूज चैनलों पूर्व वीडियों पत्रकारिता में विनीत नारायण की भ्रष्टाचार विरोधी पत्रकारिता में वह हवाला कांड उद्घाटित हुआ जिसकी संसद से सुप्रीम कोर्ट सभी तरफ चर्चा हुई। नया इंडिया में नियमित लेखन। साथ ही ब्रज फाउंडेशन से ब्रज क्षेत्र के संरक्षण-संवर्द्धन के विभिन्न समाज सेवी कार्यक्रमों को चलाते हुए। के संरक्षक करता हैं।

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