nayaindia Shivraj Singh chuhan निष्ठुरता और परिवर्तन ने विदा किया शिवराज को...

निष्ठुरता और परिवर्तन ने विदा किया शिवराज को…

भोपाल। भाजपा और कांग्रेस के साथ देश के दलों में पीढ़ी परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसके चलते अगले छह महीने में सूबे और सेंट्रल की सियासत से कई दिग्गज विदा होते दिखाई देंगे। मध्यप्रदेश से चार बार के मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान की विदाई इसी बदलाव का जबरदस्त संकेत है। मप्र में पार्टी ने पहले ही साफ कर दिया था कि अबकी बार नया नेता सीएम होगा। लेकिन साढ़े अट्ठारह साल की एन्टीइनकबेंसी बीच मोदी के नाम पर बेटियों और बहनों ने जब भाजपा को 163 सीटों पर जीत दिलाई तो लगा क्या पांचवीं बार सीएम बन जाएंगे मामा शिवराज सिंह ? हालांकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ की भांति मप्र में भाजपा बहुत कठिन दौर में थी। खैर शिवराज सिंह के सीएम नही बनने के और भी कई कारण हैं। जिसमें उनका बढ़ता कद भी अपने समकालीन और एक दो पायदान ऊपर के नेताओं की आंखों की किरकिरी बनता जा रहा था। सूबे में जगत मामा की विदाई के तरीके को थोड़ा अपमानजनक भी माना जा रहा है।

शिवराज सिंह चौहान की विदाई के कर्म को लेकर भाजपा और आमजन में चर्चा शुरू हो गई है ऐसे में बहनों की भावुक प्रतिक्रिया और उस पर मामा के इमोशन राजनीति में भावुकता का रंग घोल रहे हैं। आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह भाजपा के डैमेज कंट्रोल सिस्टम की संवेदनशीलता पर काफी कुछ निर्भर करेगा। कांग्रेस और प्रतिपक्ष अलबत्ता यह चाह रहा है कि भाजपा में मामा की विदाई का मामला और तूल पकड़े। लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संकेत दिए हैं कि शिवराजसिंह को जल्द ही जिम्मेदारी दी जाएगी। पार्टी ने यहां थोड़ी सी चूक कर दी।जैसे मुख्यमंत्री चयन करते समय दो डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी थी ठीक तभी शिवराज सिंह को भी किसी नए दायित्व को देने का ऐलान कर दिया जाता तो संभवत इतना रायता नहीं फैलता। पार्टी नेतृत्व समय के साथ सब चीजों को सुधार लेगा लेकिन ऐसे माहौल में नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए भी भरपूर चुनौतियां झेलनी पड़ेगी। दरअसल शिवराज सिंह की सहज सरल कार्यशाली नए मुख्यमंत्री में संगठन- कार्यकर्तागण, विधायक और जनता ढूंढने की कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव सरकार द्वारा नौकरशाही पर नियंत्रण के साथ कठोर निर्णय और उनके त्वरित क्रियान्वयन ही इसकी काट साबित हो सकेंगे। अभी तो मंत्रिमंडल विस्तार विभागों का वितरण और सीनियर विधायकों के साथ तालमेल यह कठिन चुनौती होंगे लोकसभा चुनाव तक कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री यादव का संगठन सरकार और जनता के बीच हनीमून पीरियड चलेगा लेकिन उसके बाद बाल की खाल निकालना शुरू हो जाएगी।यही दौर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

कांग्रेस में झटके से ऑपरेशन…
कांग्रेस हाई कमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में ओबीसी के नेता जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया है। इसी तरह विधानसभा में आदिवासी नेता उमंग सिंगार को नित्य प्रत्यक्ष बनाकर संदेश दे दिया कि अध्यक्ष ओबीसी के साथ उप नेता प्रतिपक्ष पंडित हेमंत कटारे को बनाकर की तरह से सबको साधने की कोशिश की है। आने वाले दिनों में वरिष्ठ नेता कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह को संगठन में स्थान दिया जा सकता है। इसमें कांग्रेस की राजनीति के मुताबिक राजपूत वर्ग के नेताओं की अनदेखी दिखाई पड़ रही है लेकिन जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन होगा तब संभवत राजपूत नेताओं को भी प्रदेश के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी पदों से नवाजा जा सकता है। एक तरह से मध्य प्रदेश में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने अपनी नई टीम को मैदान में उतार दिया है आने वाले दिनों में विधानसभा की कार्रवाई के चलते सदन में विपक्ष की सक्रियता और गर्माहट नजर आ सकती है और सड़क पर कांग्रेस संगठन जनता से जुड़े मुद्दे पर सरकार को घेरने में सक्रिय दिखाई देगी। वैसे भी राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर पीढ़ी परिवर्तन का दौर चल रहा है बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती ने अपने भतीजे आनंद प्रकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है ऐसे ही पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश बिहार जैसे राज्यों में मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव और लालू यादव के बेटे पहले से ही राजनीति कमान संभाले हुए हैं।

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