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बिल्डिंग निर्माण में क्वालिटी का फिर सवाल!

दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में स्थित एम्बिएंस मॉल की छत रविवार की देर रात अचानक गिरी। ग़नीमत है कि यह हादसा मध्यरात्रि के बाद हुआ जब वहाँ पर लोग नहीं थे। यदि ऐसा हादसा सुबह या दोपहर के समय हुआ होता तो जान-माल का नुक़सान कई गुना होता, क्योंकि वहाँ पर काफ़ी भीड़ रहती है। कहा यह जा रहा है कि मॉल में कुछ मरम्मत कार्य चल रहा था जिसके चलते यह हादसा हुआ।

पिछले सप्ताह दिल्ली एनसीआर के दो शॉपिंग मॉल की छत गिरने से देश भर में एक ख़ौफ़ का संदेश गया है। आखिर एक नामी शॉपिंग मॉल की छत का ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर नीचे आ गिरना, नए निर्माणों  पर चिंताबनाने वाले है। इससे निर्माण और गुणवत्ता पर कई सवाल उठे हैं।

शहर के नामी बिल्डर द्वारा निर्मित इस करोड़ों रुपये के मॉल में कई महँगे ब्रांड की दुकानें हैं। यह मॉल ग्राहकों और सैलानियों से भरा रहता है। ऐसे में विभिन्न मॉल में जाने वालों को अब वहाँ जाने से पहले सोचना पड़ेगा कि क्या बड़े-बड़े मॉल में जाना सुरक्षित है या वे वापिस अपने स्थानीय बाज़ारों में ही ख़रीदारी करने जाएँ?

दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में स्थित एम्बिएंस मॉल की छत रविवार की देर रात अचानक गिरी। ग़नीमत है कि यह हादसा मध्यरात्रि के बाद हुआ जब वहाँ पर लोग नहीं थे। यदि ऐसा हादसा सुबह या दोपहर के समय हुआ होता तो जान-माल का नुक़सान कई गुना होता, क्योंकि वहाँ पर काफ़ी भीड़ रहती है। कहा यह जा रहा है कि मॉल में कुछ मरम्मत कार्य चल रहा था जिसके चलते यह हादसा हुआ।

हादसे का असली कारण तो जाँच के बाद ही सामने आएगा, परंतु सवाल उठता है कि क्या मरम्मत के समय भी उपयुक्त सुरक्षा नियमों का पालन किया गया था? क्या वहाँ पर मरम्मत का काम कर रहे कर्मचारियों को उपयुक्त सुरक्षा साधन, जैसे सेफ्टी जैकेट, हेलमेट आदि प्रदान किए गए थे?

जब भी कभी किसी शहर में कोई बड़ा शॉपिंग मॉल, ऑफिस काम्प्लेक्स या बड़ा होटल बनता है तो इसे तरक़्क़ी का प्रतीक माना जाता है। वहाँ रहने वाले बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार के अवसर बनते हैं इसके साथ ही आस-पास के इलाक़े का भी विकास होता है। उस शहर में रहने वालों को ऐसी जगहों पर कभी न कभी जाने का भी मौक़ा मिलता है। ऐसे में यदि इनमें से किसी भी भवन में यदि कोई अप्रिय घटना या हादसा हो जाता है तो उस मॉल या होटल को उस घटना के साथ जोड़ कर कई वर्षों तक देखा जाता है। ऐसे में जिस उद्देश्य के लिए किसी बिल्डर ने इनका निर्माण किया था वो सिद्ध नहीं होता। इससे उस नामी बिल्डर की साख पर भी कई सवाल खड़े होते हैं। आम जनता यह समझने लग जाती है कि यह बिल्डर समूह सुरक्षा के साथ समझौता करता है और उसके मन में केवल मुनाफ़ा कमाने का ही मक़सद है।

परंतु वहीं दूसरी ओर देखें तो यदि किसी बिल्डर ने गुणवत्ता को ध्यान में रख कर ऐसे किसी भवन का निर्माण किया हो तो वहाँ पर आपको ऐसी कोई भी अप्रिय घटना कभी भी देखने को नहीं मिलेगी। ऐसे श्रेष्ठ बिल्डर हमेशा गुणवत्ता को सर्वोपरि रखते हैं मुनाफ़े को नहीं। इसके साथ ही प्रशासन की भी कुछ ज़िम्मेदारियों होनी चाहिएँ। जैसे, निर्माण के समय में ही निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाली निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जाँच होती रहनी चाहिए।

निर्माण चाहे किसी निजी बिल्डर द्वारा निर्मित किसी मॉल का हो, किसी ऑफिस काम्प्लेक्स का हो या किसी बड़े होटल का हो। सरकारी एजेंसियों द्वारा नियमित निरीक्षण होते रहने चाहिए। लेकिन अक्सर देखा गया है कि ऐसे निरीक्षण केवल काग़ज़ों पर ही होते हैं। इन निरीक्षणों की पोल तब खुलती है जब कोई बड़ा हादसा होता है।

कुछ वर्षों पहले जब 1997 में दिल्ली के उपहार सिनेमा में ऐसी ही लापरवाही के चलते आग लगी थी तो उसमें 59 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस दर्दनाक हादसे के बाद कोर्ट की फटकार लगने पर सरकारों को सार्वजनिक स्थानों पर आगज़नी से बचाव के सभी नियमों को सख़्ती से लागू करने को कहा गया।

नतीजा यह हुआ कि सभी बिल्डर काफ़ी चौकन्ना हो गये। किसी भी तरह की लापरवाही करने से बचने लगे। देखना यह है कि दिल्ली के एम्बिएंस मॉल के हादसे के बाद क्या प्रशासन कुछ कड़े नियम लागू करेगा? ऐसे बड़े शॉपिंग मॉल्स में जब भी मरम्मत के काम हों पूरी हिफ़ाज़त के साथ ही हों। किसी अप्रिय घटना की स्थिति से निपटने के लिए संबंधित ज़िला प्रशासन, अग्निशमन, पुलिस आपदा प्रबंधन और एंबुलेंस सेवा को इस कार्य की पहले से ही सूचना दी जाए जिससे की हादसे के समय इनकी गाड़ियाँ  बिना विलंब वहाँ सहायता के लिए पहुँच सकें। आजकल के सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ऐसे हर स्थल पर सीसीटीवी केमरे भी चालू रहें जो पूरे समय ऐसे कार्य पर निगरानी रखें।

दिल्ली एनसीआर में हुई यह घटना सीधे-सीधे इन शॉपिंग मॉल्स के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती हैं। गुणवत्ता में हुई लापरवाही ही इस हादसे का कारण बनी। परंतु यदि बिल्डर द्वारा सही सामग्री का इस्तेमाल किया गया होता या मरम्मत करने वाले ठेकेदार या मज़दूरों द्वारा पूरी सावधानी बरती गई होती तो यह हादसा टाला जा सकता था।

इस हादसे की जाँच के बाद जो भी दोषी होगा उसे कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए जिससे कि हर उस बड़े बिल्डर को एक संदेश दिया जा सके कि यदि आप मुनाफ़ा कमाने की मंशा से महँगे-महँगे मॉल और सिनेमा घर आदि बना रहे है, तो वहाँ पर जाने वाले और वहाँ पर काम करने वालों को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी भी आपकी है।

By रजनीश कपूर

दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।

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