Friday

01-08-2025 Vol 19

कौन बनेगा मुख्यमंत्री का सस्पेंस

395 Views

भाजपा में टिकटों की तरह एक बड़ा सस्पेंस इस बात का है कि अगर पार्टी जीतती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मध्य प्रदेश में पिछले तीन चुनाव से सबको पता था कि भाजपा जीतेगी तो शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन इस बार किसी को पता नहीं है कि कौन सीएम बनेगा। भाजपा ने सीएम पद के सभी दावेदारों को मैदान में उतार दिया है। शिवराज सिंह चौहान तो अपनी पारंपरिक बुधनी सीट से लड़ ही रहे हैं लेकिन उनके साथ साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी लड़ रहे हैं। अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी उतार दिया जाए तो हैरानी नहीं होगी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव में है। वे विधानसभा चुनाव लड़ना छोड़ चुके थे पर उनको उतारा गया है। तभी यह माना जा रहा है कि अगर भाजपा जीतती है तो कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री बन सकते हैं। वे मौजूदा दावेदारों में सबसे प्रबल हैं। अगर पार्टी ओबीसी सीएम बनाने का फैसला करती है तो प्रहलाद पटेल सबसे प्रबल दावेदार हैं।

इसी तरह राजस्थान में भाजपा ने इस बार वसुंधरा राजे को चेहरा नहीं बनाया है। पिछले 20 साल से पार्टी उनके चेहरे पर लड़ती रही है। दो बार भाजपा जीती तो वे सीएम बनीं और दो बार हारी तब भी पार्टी की कमान उनके हाथ में रही। इस बार उनकी बजाय केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। संभवतया उन्हे जोधपुर में अशोक गहलोत के खिलाफ उतारा जाए। ताकि गहलोत बनाम शेखावत के भारी मुकाबले का हल्ला बना कर गजेंद्रसिंह की दांवेदारी नंबर एक की बने। वैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी दावेदार बताए जा रहे हैं। वैसे अभी तक शेखावत की उम्मीदवारी घोषित नहीं हुई है। ऐसे ही अभी केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को ले कर भी सस्पेंस है। ये सब सीएम पद के प्रबल दावेदार होते हैं।

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने रमन सिंह को टिकट दे दी है। वे अपनी पारंपरिक राजनांदगांव सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना कर पार्टी नहीं लड़ रही है। इस बार चुनाव लड़ रहे नेताओं में कोई ऐसा नहीं दिख रहा है, जिसके बारे में कोई सहज भाव से या भरोसे के साथ कह सके कि पार्टी जीती तो वह सीएम होगा। पुराने नेता ब्रजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत आदि हाशिए में हैं। पुराने नेताओं में रमेश बैस राज्यपाल हैं तो नंद कुमार साय भाजपा छोड़ कर कांग्रेस के साथ चले गए। ऐसा लग रहा है कि भाजपा का ध्यान छत्तीसगढ़ पर नहीं है और वह भी मान कर चल रही है वहां जीतना मुश्किल है।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *