indian migrants : और हथकड़ी केवल हाथों में ही नहीं, पांवों और दिमाग में भी! अमेरिका ने मोदी राज में भारतीयों को सचमुच औकात दिखाई है।
बाइडेन प्रशासन के समय भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, रॉ प्रमुख के खिलाफ वारंट जारी हुए।
वही ट्रंप प्रशासन ने विश्व को बताया कि तमाम तरह के अवैध घुसपैठियों में उसने इतनी दूर के भारत के लोगों (अपराधी नहीं, यदि होते तो गिरफ्तार कर अदालत में पेश किए जाते) को हथकड़ियों में बांध, सैनिक विमान में भर कर सीधे भारत के भीतर एयरपोर्ट पर छोड़ा।
ऊपर से इमीग्रेशन के सर्वोच्च अमेरिकी अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो जारी करके विश्व को मैसेज दिया, देख लो भारतीयों की दशा!(indian migrants)
सवाल है क्यों भारत और उसके भारतीयों की मिसाल दुनिया के आगे रखी गई? इसलिए क्योंकि भारत अपने को महाशक्ति कहता है! मेरा मानना है चीन से भी अवैध चाइनीज अमेरिका के विभिन्न चाइना टाउन में रह रहे होंगे!
ऐसे ही पाकिस्तानी, अफगानी भी होंगे। मगर अवैध चीनी नागरिकों को पकड़ कर, उन्हें हथकड़ियां लगा कर सैनिक विमान से चीन पहुंचाने की ट्रंप प्रशासन ने मिसाल कायम नहीं की? क्यों?
इससे चीन और भारत की महाशक्ति का फर्क जाहिर होता है। नवंबर 2011 में अमेरिका की ‘टाइम’ पत्रिका ने हाथी बनाम ड्रैगन, भारत बनाम चीन की प्रतिस्पर्धा का एक कवर बनाया था।
उसमें दो पांव पर उठा, चिंघाड़ता हाथी, ड्रैगन पर भारी हुआ दिखा था। अब 2025 है और यदि हम सच्चे राष्ट्रवादी हैं तो सोचें कि चीन ने भारत को पिछले चौदह वर्षों में कितनी तरह से दबाया है?(indian migrants)
also read:केजरीवाल जीतें या हारें, बहुत अहम!
हाथी भूखा है… निराश है(indian migrants)
यह रियलिटी इस वास्तविकता से भी समझें कि भारत के नौजवान अब इतने निराश, डेस्परेट हैं जो ठेठ ब्राजील से लातीनी अमेरिका में सफर करते हुए मेक्सिको-अमेरिकी सीमा में अवैध प्रवेश कर रहे हैं!
अमेरिका में पड़ोस के लातीनी देशों के घुपैठियों का मामला वैसा ही है जैसे बांग्लादेशियों का भारत आना-जाना।(indian migrants)
मगर अमेरिका और कनाडा की और इतनी मंहगी, कष्टदायी हिंदू-सिख नौजवानों की यात्रा सचमुच दहलाने वाली है। और पंजाब तथा गुजरात के नौजवान चेहरे! क्यों कर नौजवानों में येन केन प्रकारेण विदेश जा बसने का यह अंधापन?
इसलिए क्योंकि हाथी भूखा है। निराश है। बिना अवसरों के है। गुजरात में विकसित गुजरात, विकसित भारत की कीर्ति नहीं है, बल्कि विकसित अमेरिका की है।
छह-सात साल पहले गुजरात के संपन्न पटेलों के नौजवानों ने रोजगार के लिए जबरदस्त आंदोलन किया था। और हुआ क्या?(indian migrants)
सरकार ने हार्दिक पटेल को जेल में डाला, भाजपा ने उसे डर, ललचा कर अपना कार्यकर्ता, भक्त बनाया लेकिन उससे क्या पटेल नौजवानों का डेस्परेशन, निराशा खत्म हो जानी थी?
भारत किसी के साथ नहीं खड़ा
इसलिए हाथी की नियति है। हाथी को कभी अमेरिका लात मारता है। कभी चीन आंखें दिखाता है और कभी बांग्लादेश चेतावनी देता है तो कभी नेपाल और मालदीव के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आंख दिखाते हैं।
भारत किसी के साथ नहीं खड़ा है और सबके साथ खड़ा है! और सब हाथी की सवारी करते हुए महावत को आदेश देते हैं इधर चलो, उधर चलो। हां, दे देंगे अंबानी को तेल और अडानी को ठेका!
सोचें, हाथी के मौजूदा वजूद पर। वह कितना पालतू और भयाकुल है। धर्म और अखाड़ों के साधुओं की सवारी है।(indian migrants)
दिल्ली की उस हिंदूशाही की सवारी है, जिस पर हिंदू राजाधिराज और भक्त सेना कभी पानीपत के मैदान में खड़ी दिखाई देती थी और पश्चिम की दिशा से आने वाले चंद हजार घुड़सवार उस सेना, हाथियों की सेना को इस तरह रौंदते हुए दिल्ली कब्जाते थे कि कुंभ के तीर्थयात्री बूझ नहीं पाते थे कि असल शासन अकबर का है या ईस्ट इंडिया कंपनी का!
हाथी को पता ही नहीं होता कि वह किस किस तरह की अज्ञानताओं, जंजीरों और गुलामी में जीता है। तय मानें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी वाशिंगटन जाने वाले हैं और वे डोनाल्ड ट्रंप के आगे यह नजराना पेश करेंगे कि हुजूर मैंने आपके कहे अनुसार बजट में अमेरिकी सामान पर कस्टम ड्यूटी घटा दी है।
और आप ग्रेट हैं, और आप गाजा में ही क्यों मुबंई को क्यों नहीं ट्रंप टॉवरों से भरा रिवेरा बना देते! सोचें, तब ट्रंप जनाब मोदी महान के कसीदे में क्या बोलेंगे!(indian migrants)