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राहुल चुनाव बहिष्कार कराएंगे या आमरण अनशन पर बैठेंगे?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि न चुनाव आयोग बचेगा और न उसके अधिकारी बचेंगे। उनके पास गड़बड़ी के सौ फीसदी सबूत हैं। उधर बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि विपक्षी पार्टियां बिहार में विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर सकती हैं। असल में बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हो रहा है, जिसके तहत 60 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम काटे जाने की खबर खुद चुनाव आयोग ने दी है। बिहार विधानसभा का पांच दिन का सत्र इसी में जाया हुआ और लोकसभा के मानसून सत्र के पहले पांच दिन भी इसी पर हंगामा होता रहा। राहुल गांधी खुद चुनाव आयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। एक दिन सोनिया गांधी भी विरोध में शामिल हुईं और प्रियंका भी उनके साथ रहीं।

अब सवाल है कि राहुल क्या करेंगे? क्या राहुल चुनाव का बहिष्कार करेंगे या चुनाव आयोग के खिलाफ भूख हड़ताल, आमरण अनशन पर बैठेंगे? उनके पास कर्नाटक की किसी एक सीट पर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के नाम बड़ी संख्या में मतदाता सूची में जोड़े जाने की जानकारी है। वे कह रहे हैं कि इसके सबूत हैं कि ये फर्जी नाम जोड़े गए हैं। आमतौर पर मतदाता सूची में नए नाम 18 से 20 साल के लोगों के जुड़ते हैं और उससे ज्यादा उम्र के जो नए नाम जुड़ते हैं उनकी संख्या बहुत कम होती है। चुनाव आयोग भी हैरान है। उसका कहना है कि कांग्रेस ने कर्नाटक का मुद्दा पहले नहीं उठाया था। ध्यान रहे राहुल पहले महाराष्ट्र और हरियाणा में मैच फिक्सिंग की बात करते थे। तभी संसद के मानसून सत्र में राहुल ने कर्नाटक का मुद्दा उठाया तो चुनाव आयोग ने इसे आफ्टर थॉट कहा यानी बाद में सोच समझ कर आरोप लगाने की बात कही।

सोचें, अगर राहुल गांधी सचमुच विपक्षी पार्टियों को तैयार कर लेते हैं कि बिहार में विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया जाए तो क्या होगा? भारत के इतिहास में आजतक ऐसा नहीं हुआ है। इक्का दुक्का छोटी मोटी पार्टियों ने इमरजेंसी के बाद या सिख विरोधी दंगों के बाद चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन उनका कोई वजूद नहीं था। अगर मुख्य विपक्षी पार्टी चुनाव का बहिष्कार करे तो यह भारत के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात होगी। सारी दुनिया में इस बात पर चर्चा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया भर में घूम कर भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हैं और वहां चुनाव चोरी करने का आरोप लगा कर विपक्ष चुनाव नहीं लड़े तो दुनिया क्या सोचेगी?

इसी तरह अगर राहुल भूख हड़ताल करें या आमरण अनशन घोषित करें तो क्या होगा? वे हठ करना जानते हैं। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा की तो देश के एक सिरे से दूसरे सिरे को पैदल नाप दिया। ध्यान रहे वे चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों को लेकर वे आमरण अनशन करें तो पूरे देश में सरकार के खिलाफ माहौल बनेगा। पता नहीं विपक्ष चुनाव का बहिष्कार करेगा या नहीं और राहुल कोई अनशन शुरू करेंगे या नहीं लेकिन चुनाव आयोग पर उनके हमले और आरपार की लड़ाई के मूड को देखते हुए खूब अटकलें लगाई जा रही हैं।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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