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क्यों योगी, फड़नवीस पर इतनी अटकलें?

इन दिनों एक और फेवरिट टाइमपास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के बारे में चर्चाओं का है। ये दो नेता ऐसे हैं, जिनको प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रास्ते का कांटा भी माना जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि अमित शाह किसी तरह से इन दोनों को ठिकाने लगाने के प्रयास में हैं। इस कयासबाजी को रोज यूट्यूब प्लेटफॉर्म के इन्फ्लूएंसर हवा दे रहे हैं। कई ‘समझदार’ लोग तो योगी आदित्यनाथ को ही अगला उप राष्ट्रपति बनवा रहे हैं। सोचें, 53 साल का उप राष्ट्रपति!

ऐसे ‘समझदार’ लोगों की एक दूसरी जमात है, जो योगी को उप राष्ट्रपति नहीं बनवा रही है, बल्कि देश का रक्षा मंत्री बनवा रही है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को देश का उप राष्ट्रपति।

असल में पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ दिल्ली आए तो उन्होंने तीनों दरबारों में हाजिरी लगाई। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। उनसे पहले दोनों उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य भी दिल्ली आए थे और अलग अलग जाकर अमित शाह से मिले थे। तभी कहा जाने लगा था कि उत्तर प्रदेश में बदलाव की शुरुआत होने वाली है। यह दावा किया कि किसी भी हाल में भाजपा योगी के नेतृत्व में यूपी का चुनाव नहीं लड़ेगी। अगर उनके कमान में यूपी का चुनाव होता है और जीतने के बाद वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनते हैं तो फिर अमित शाह के दिल्ली के तख्त पर बैठने की हसरत कभी पूरी नहीं हो पाएगी। इस मामले में सिर्फ कयासबाजी नहीं हो रही है।

उधर महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस की सरकार हर दिन किसी न किसी मामले में उलझ रही हैं। भाषा का मामला सरकार के गले की हड्डी बना।  हालांकि कहा जा रहा है कि फड़नवीस ने इस आपदा को अवसरर बना दिया है। मराठी और हिंदी के विवाद में उद्धव व राज ठाकरे एक साथ आए हैं, जिनको फिर से एनडीए में लाने के प्रयास हो रहे हैं और साथ ही शिव सेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे को अलग थलग करने के प्रयास हो रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि शिंदे के सिर पर अमित शाह का हाथ होने की खबर है। दावा किया जा रहा है कि शिव सेना टूटने के बाद अमित शाह ने ही फड़नवीस की जगह शिंदे को सीएम बनवाया था और पिछले साल की भारी भरकम जीत के बावजूद फड़नवीस का फैसला अटकाया था।

जिस तरह योगी चुनौती बने हैं वैसे ही फड़नवीस भी चुनौती हैं। राज्य में फड़नवीस और शिंदे में ठनी है। दोनों में शीतयुद्ध चल रहा है। कुछ समय पहले शिंदे दिल्ली आकर लौटे हैं। मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए अमित शाह को योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फड़नवीस से चुनौती मिलने के कयास हैं और इसी वजह से दोनों के खिलाफ साजिश किए जाने की अफवाहें फैल रही हैं।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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