ऐसा लग रहा है कि कई राज्यों में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का मसला अभी नहीं सुलझा है। तभी उन राज्यों में संगठन चुनाव की गाड़ी आगे नहीं बढ़ी है। इसमें सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश है, जहां मार्च 2027 में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल पूरा हो गया है और उनकी जगह नया अध्यक्ष नियुक्त होना है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी मुलाकात की थी। उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी उनकी मुलाकात हुई थी। लेकिन बार बार प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को सरकार में फेरबदल के साथ जोड़ दिया जा रहा है। जाट की जगह पिछड़ा या ब्राह्मण अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री बदलने और केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चा भी शुरू हो जा रही है। इसलिए उत्तर प्रदेश का फैसला नहीं हो पा रहा है।
इसी तरह गुजरात का मामला भी बहुत दिलचस्प है। वहां सब कुछ भाजपा के कंट्रोल में है। एक सीट के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत से कुछ नहीं बदलना है। वहां भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष बदलना था तभी पिछले साल जून में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार बनी तो प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। अब वे एक साल से ज्यादा समय से दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे ही तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष जी किशन रेड्डी केंद्र सरकार में मंत्री हैं और दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वहां भाजपा तय नहीं कर पा रही है कि किसी हार्डलाइनर को प्रदेश अध्यक्ष बना कर ध्रुवीकरण की राजनीति हो या मध्यमार्गी चेहरा नियुक्त किया जाए। मध्य प्रदेश में वीडी शर्मा का कार्यकाल भी पूरा हो गया है और झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी विधायक दल के नेता बन गए हैं। वहां भाजपा को तय करना है कि मरांडी की जगह पिछड़ा, दलित या सवर्ण अध्यक्ष बनाया जाए। दो बड़े राज्यों महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का फैसला हो गया लगता है। बंगाल में भी केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो महाराष्ट्र में चंद्रशेखर बावनकुले भी राज्य सरकार के मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की दोहरी भूमिका में हैं।