भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की गाड़ी जो महीनों से एक जगह अटकी हुई थी वह आगे बढ़ी है। राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि अगले दो से तीन हफ्ते में ज्यादातर राज्यों में अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। हालांकि झारखंड सहित कुछ अन्य राज्यों में यह प्रक्रिया अगस्त तक पूरी होगी। कम से कम पांच राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव एक हफ्ते में हो जाने की संभावना है। अगर पांच राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए जाते हैं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि भाजपा के संविधान के मुताबिक आधे मंडलों के चुनाव के बाद जिला अध्यक्ष चुना जाता है, आधे जिला अध्यक्षों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष और आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। अभी तक भाजपा ने 14 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, जबकि देश में 37 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा संगठन का चुनाव होना है। इसलिए कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जरूरी है।
भाजपा संगठन चुनाव के प्रभारी के लक्ष्मण ने तीन राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की घोषणा की। उन्होंने पार्टी के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव अधिकारी नियुक्ति किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को महाराष्ट्र का और दिल्ली के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा को उत्तराखंड का चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। इसके अलावा पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में संगठन चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। इसी तरह त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में अगले दो तीन दिन में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। कहा जा रहा है कि इन सात राज्यों में एक हफ्ते से 10 दिन में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है।
राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की लंबित प्रक्रिया को शुरू करने के बारे में सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर की वजह से प्रक्रिया रूक गई थी। हालांकि ऐसा नहीं है। राज्यों में अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया पिछले साल से ही रूकी हुई है, जबकि पहलगाम कांड इस साल 22 अप्रैल को हुआ है। प्रदेश अध्यक्षों की प्रक्रिया शुरू हुई है इसका मतलब है कि राज्यों में किसको कमान देनी है यह तय हो गया है और मोटे तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की भी सहमति बन गई है। अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की सहमति नहीं बनी होती तो प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती। ध्यान रहे आधे राज्यों में संगठन चुनाव नहीं होने के आधार पर ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टाला जा रहा था। अगर अगले एक हफ्ते में आधे राज्यों में अध्यक्ष का चुनाव हो जाता है तो फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव ज्यादा नहीं टलेगा। जुलाई के अंत तक या ज्यादा से ज्यादा अगस्त तक भाजपा का नया अध्य़क्ष नियुक्त हो जाएगा।