आम आदमी पार्टी की सरकार ने नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की कोई भी रिपोर्ट पेश नहीं की थी। कट्टर ईमानदार होने का दावा कर रही पार्टी ने सीएजी की 14 रिपोर्ट्स लंबित रखीं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सीएजी की रिपोर्ट सदन में पेश होती है और उसके बाद लोक लेखा समिति यानी पीएसी में विचार के लिए भेजी जाती है। उससे अलग अलग विभागों में होने वाले कामकाज का पता चलता है और वास्तविक तस्वीर सामने आती है। तमाम प्रदर्शनों के बावजूद केजरीवाल ने खुद मुख्यमंत्री रहते या बाद में उनकी खड़ाऊं सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट सदन में नहीं पेश की।
अब जबकि सीएजी की रिपोर्ट पेश की जा रही है उनके दिल्ली मॉडल की वास्तविकता का पता चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि मोहल्ला क्लीनिक किसी काम के नहीं हैं। दर्जनों मोहल्ला क्लीनिकों में थर्मामीटर तक नहीं थे। अनेकों में टॉयलेट नहीं हैं। 45 फीसदी मरीजों को दवाएं निजी दुकानों से लेनी पड़ी हैं। ऊपर से आगे जांच से पता चलेगा कि कैसे इनका इस्तेमाल फर्जी जांच लिखने और निजी लैब्स में फर्जी जांच करा कर पैसे की बंटरबांट हुई। शिक्षा पर सीएजी की रिपोर्ट से शिक्षा के मामले की भी पोल खुलेगा। देश के सामने यह हकीकत आएगी कि शिक्षा हो या स्वास्थ्य किसी भी क्षेत्र में केजरीवाल सरकार ने कोई काम नहीं किया है।