इस बात पर चर्चा हो रही है कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की पुरानी आम आदमी वाली छवि कैसे स्थापित होगी। इसको लेकर दो तरह की चर्चा है। एक चर्चा है कि नेता विपक्ष आतिशी ने सुझाव दिया कि केजरीवाल फिर पहले की तरह आम आदमी जैसे रहने लगें। यह भी कहा गया कि वे सुरक्षा हटवा दें और सरकारी मकान छोड़ कर वापस कौशांबी के अपने फ्लैट में रहें या दिल्ली में कोई डीडीए का फ्लैट लेकर उसमें रहें। दूसरी खबर यह है कि केजरीवाल को यह सुझाव गोपाल राय ने दिया और केजरीवाल इस पर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने गोपाल राय को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया। आप के जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों बातें अधूरी हैं। किसी एक नेता ने इस तरह का सलाह नहीं दिया है, बल्कि पार्टी में इस पर चर्चा हुई है। परंतु केजरीवाल इसके लिए तैयार नहीं हैं।
तभी इस तरह की चर्चा होने के बाद केजरीवाल विपश्यना के लिए पंजाब गए तो 30 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला उनके साथ था। जेड प्लस की सुरक्षा में भारी तामझाम के साथ वे गए। उनको लग रहा है कि अगर यह तामझाम छोड़ा तो पार्टी के भीतर और आम जनता के बीच भी उनकी धाक और धमक कम होगी। उनको यह भी पता है कि आम आदमी वाली उनकी छवि की हकीकत अब लोगों के सामने आ गई है और अब पहले की तरह हो जाने से पुरानी छवि वापस नहीं मिलने वाली है। इसलिए वे न सरकारी मकान छोड़ने जा रहे हैं और सुरक्षा और गाड़ियों का काफिला छोड़ने वाले हैं। अगर पंजाब में संजीव अरोड़ा विधानसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी राज्यसभा सीट खाली होगी, जिस पर केजरीवाल उच्च सदन में जाएंगे। तब पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उनको टाइप आठ का बड़ा बंगला अलॉट होगा, जहां से वे राजनीति करेंगे। उनकी पार्टी ने कहना शुरू कर दिया है कि अटल बिहारी वाजपेयी और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं ने भी चुनाव हारने के बाद उच्च सदन में जाने के दूसरे उपाय किए।