कांग्रेस पार्टी ने बिहार में गजब किया। उसने पहले तो एक छंटनी समिति बनाई, जिसका अध्यक्ष अजय माकन को बनाया और उसके बाद माकन को बिहार भेज दिया, छंटनी समिति की बैठक करने के लिए। पिछले मंगलवार को यानी 12 अगस्त को अजय माकन सुबह की फ्लाइट से पटना पहुंचे और पूरे दिन उम्मीदवारों के इंटरव्यू करते रहे। यह तब हुआ, जब महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीट बंटवारा नहीं हुआ है। यहां तक कि सीट बंटवारे को लेकर चर्चा भी शुरू नहीं हुई है। अभी तय नहीं है कि कांग्रेस पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी और कितनी सीटों की अदलाबदली होगी।
ध्यान रहे 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और 19 सीट जीती थी। उस समय चुनाव से ऐन पहले एक सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी ने साथ छोड़ दिया था और एनडीए के साथ चली गई थी। इसलिए कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिल गई थीं। हालांकि नतीजों के बाद कहा गया कि अगर राजद ज्यादा और लेफ्ट ज्यादा सीटों पर लड़ते तो महागठबंधन की सरकार बन सकती थी। गौरतलब है कि तीन लेफ्ट पार्टियों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ कर 16 सीटें जीतीं। तभी इस बार लेफ्ट की पार्टियां ज्यादा सीट मांग रही हैं तो मुकेश सहनी की वीआईपी के गठबंधन में आ जाने से उनके लिए भी सीटें निकालनी हैं। सो, कहा जा रहा है कि कांग्रेस की 15 से 20 सीटें कम हो सकती हैं। कुछ सीटों की अदला बदली भी होनी है लेकिन उससे पहले कांग्रेस ने छंटनी समिति की बैठक करके उम्मीदवारों के इंटरव्यू भी शुरू कर दिए। ऐसा लग रहा है कि राजद और दूसरी सहयोगी पार्टियों पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने माकन को भेज कर मीटिंग कराई।