बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की बेचैनी साफ दिख रही है। एक तरफ वह दो सौ से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है और उसके नेता कह रहे हैं कि एनडीए को कोई लड़ाई नहीं है। गौरतलब है कि बिहार एनडीए में इस समय पांच घटक दल हैं। भाजपा के अलावा नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा।
इन पांच पार्टियों का सामाजिक आधार बहुत बड़ा है। तभी माना जा रहा है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक के सामाजिक समीकरण को पछाड़ देना बहुत आसान होगा। लेकिन हकीकत लगता है इससे अलग है।
भाजपा की मुकेश सहनी को लेकर बेचैनी
तभी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि ‘इंडिया’ ब्लॉक की एक सहयोगी पार्टी एनडीए में शामिल होने वाली है। ‘इंडिया’ ब्लॉक में राजद और कांग्रेस के अलावा तीन कम्युनिस्ट पार्टियां हैं और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी है। सो, सबने उनकी बात समझ ली वे मुकेश सहनी के आने की बात कर रहे हैं।
इसके जवाब में मुकेश सहनी ने भी कहा कि वे जानते हैं कि भाजपा में उनका इंतजार हो रहा है लेकिन वे नहीं जाएंगे। सोचें. भाजपा अध्यक्ष के इस बयान पर! क्या इससे यह नहीं जाहिर होता है कि पार्टी को अपने मौजूदा समीकरण पर भरोसा नहीं है और उसे एक और सहयोगी की जरुरत है? उन्होंने ‘इंडिया’ ब्लॉक में फूट डालने के लिए भी यह बात कही है तब भी उसका फायदा मुकेश सहनी को होगा। भाजपा को तो नुकसान ही होना है।
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